लाला लाजपत राय ने हिसार में छह साल रहकर की थी वकालत, बनवाई थी पहली पक्‍की सड़क

Lala Lajpat Rai Jayanti 2021 लाला लाजपत राय ऐसे नेता बने थे जो मुस्लिम बाहुल क्षेत्र में सर्वसम्मति से पार्षद चुने गए थे। 1889 में नगर पालिका हिसार के पहले भारतीय आनर्रेरी सचिव बने थे। उनके कार्यकाल में हिसार में पहली पक्की सड़क बनाई गई थी

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 01:11 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 01:11 PM (IST)
लाला लाजपत राय ने हिसार में छह साल रहकर की थी वकालत, बनवाई थी पहली पक्‍की सड़क
लाला लाजपत राय के समय में बनाई गई पहली पक्‍की सड़क

हिसार [पवन सिरोवा] हिंदू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की अनूठी मिसाल थे महान् स्वतंत्रता सैनानी लाला लाजपतराय। जो लोग धर्म व जाति के झगड़ों में पड़ते है उन्हें हिसार के महान स्वतंत्रता सैनी के जीवन से सीख लेनी चाहिए। हिसार के लोगों में आपसी प्रेम इतना था कि देश के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय ऐसे नेता बने थे जो मुस्लिम बाहुल क्षेत्र में सर्वसम्मति से पार्षद चुने गए थे। 1889 में नगर पालिका हिसार के पहले भारतीय आनर्रेरी सचिव बने थे।

उनके सचिव बनने के बाद हिसार में विकास ने रफ्तार पकड़ी थी। उनके कार्यकाल में हिसार में पहली पक्की सड़क बनाई गई थी जो बिश्नाई धर्मशाला के पास से इलाइट सीनेमा के साथ से होते हुए रेलवे स्टेशन तक बनी थी। प्रसिद्ध इतिहासकार एवं डीएन कॉलेज के प्रो. महेंद्र सिंह ने लाला लाजपत राय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया हिसार में विकास के चलते लाला लाजपत राय को हिसार का शिल्पकार भी कहा जाता है।

लाला लाजपजत राय का जीवन परिचय

उनका जन्म 28 जनवरी 1865 और निधन 17 नवंबर 1928 को लाहौर में हुआ। हिसार की जैन गली में उनकी ससुराल थी। जैन गली निवासी राधा रानी से उनका विवाह हुआ था। वकालत की पढ़ाई करने के बाद यहां आए और उन्होंने हिसार में 1886 से 1892 तक रहकर यहां वकालत की। बार एसोसिएशन के सदस्य बने। वकालत के दौरान हिसार में 1886 में उन्होंने हिसार में आर्य समाज और कांग्रेस की स्थापना की।

जंगे आजादी की लड़ाई में लाला जी ने हिसार का दिया था पता

लाला लाजपत राय हिसार में रहने के दौरान देश की राजनीति में सक्रिय हुए थे। जंगे आजादी की लड़ाई में जब उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की तो उन्होंने अपना पता हिसार का ही दिया था। देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए 1888 और 1889 के नेशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों में हिस्सा लिया। इलाहाबाद में हुए कांग्रेस के चौथे अधिवेशन में उनके साथ ही हिसार के प्रसिद्ध लोगों में शुमार लाला चुड़ामणी, लाला छबीलदास और लाला गोरी शंकर भी साथ थे। देश के लाल-बाल-पाल के नाम प्रसिद्ध नेताओं में लाल यानि लाला लालपत राय है। लाला जी की प्रसिद्ध इस कदर बढ़ चुकी थी कि कांग्रेस अधिवेशन के दौरान उनका स्वागत करने के लिए नेशनल स्तर पर कांग्रेस संस्थापक एओ हयूम और मदन मोहन मालवीय आए थे।

उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में इस कदम सक्रिय थे कि अंग्रेज उनसे धबराने लगे थे। सन् 1928 में उन्होंने साइमन कमीशन का पुरजोर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान ब्रिटिश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसा दीं। लाला लाजपत राय लाठियां लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया। जंगे आजादी में उनके अदम्य साहस भरे योगदान के कारण उन्हें पंजाब केसरी कहकर संबोधित किया जाता था।

लाला जी के नेतृत्व में मजदूरों ने अधिकार के लिए शुरु किया था संघर्ष

लाला लाजपत राय के नेतृत्व में हिसार में मजदूरों ने अपने हक के लिए आवाज उठानी शुरु की थी। उनके नेतृत्व में हिसार में मजदूरों ने हड़ताल की थी। तब मजदूर संगठन एक होने लगा था। मजदूरों ने लाला के नेतृत्व में अपने काम के घंटे निर्धारित करने के लिए आवाज उठाई थी। लोगों में लाला का विश्वास इतना था कि लोग उनके समर्थन में रहते थे। यहीं कारण था कि वे जनता की आवाज बुलंद करते चले गए। हिसार में 1890 में गवर्नर आए थे। पहले डीसी के माध्यम से उनके सामने मांगपत्र रखने की प्लानिंग थी ताकि गवर्नर का विरोध न हो लेकिन लाला ने खुद मांगपत्र रखा और गवर्नर की खिंचाई कर दी थी। समय बितने के साथ नगर पालिका से हिसार नगर निगम बन गया है। नगर निगम ने आज भी लाला लाजपत राय के हस्ताक्षर किए हुए दस्तावेज रखे हुए है। इसके अलावा हिसार में उनके नाम पर लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भी निर्माणाधीन है।

---नोट : यह जानकारी प्रसिद्ध इतिहासकार एवं दया नंद कॉलेज प्रो. महेंद्र सिंह के अनुसार है।

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