कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी ने दिया सबक, झज्जर जिले में इस बार दोगुने दिख रहे हरियाली के प्रयास

प्रकृति काे सहेजने के लिए झज्जर जिले में इस बार हरियाली बढ़ाने के दोगुने प्रयास दिख रहे हैं। एक तरफ वन विभाग द्वारा अपने लक्ष्य में से 40 फीसद तक पौधारोपण कर दिया गया है तो दूसरी ओर कई सामाजिक संस्थाएं भी इस कोशिश में जुटी हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 09:53 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 09:53 AM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी ने दिया सबक, झज्जर जिले में इस बार दोगुने दिख रहे हरियाली के प्रयास
झज्‍जर जिले में इस बार पौधे लगाने के लिए अथक प्रयास हो रहे हैं

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : कोरोना की दूसरी लहर में अाक्सीजन की कमी ने इस बार शासन-प्रशासन से लेकर आमजन को भी सबक दिया है। शायद यही वजह है कि प्रकृति काे सहेजने के लिए झज्जर जिले में इस बार हरियाली बढ़ाने के दोगुने प्रयास दिख रहे हैं। एक तरफ वन विभाग द्वारा अपने लक्ष्य में से 40 फीसद तक पौधारोपण कर दिया गया है तो दूसरी ओर कई सामाजिक संस्थाएं भी इस कोशिश में जुटी हैं। एक दिन पहले ही झज्जर जिले में अपनी तरह की नई शुरूआत हुई है। यहां के गांव खरहर से आक्सीजन बाग का शुभारंभ किया गया है। खुद डीसी श्यामलाल पूनिया ने पौधारोपण करके इसकी शुरूआत की। इस मुहिम में खूब पौधे लगाएं जा रहे हैं ताकि एक ऐसा बाग तैयार हो, जहां से खूब आक्सीजन पैदा हो।

जंगल पैदा कर रही क्लीन एंड ग्रीन एसोेसिएशन :

काफी समय से हरियाली को बढ़ावा देने में जुटी क्लीन एंड ग्रीन एसोसिएशन द्वारा अब बहादुरगढ़ क्षेत्र में चार जगहों पर जंगल पैदा किए जा रहे हैं। खाली जमीन पर इतनी संख्या में पौधे लगाए गए हैं कि वह जगह किसी जंगल से कम न हो। वहां पर अनिगनत संख्या में पेड़ाें का बसेरा हो जाए। प्राकृतिक जंगल धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, ऐसे में मानव जनित जंगलों पर बल दिया जा रहा है। एसोसिएशन की ओर से प्रशासन और पर्यावरण प्रेमियाें के साथ मिलकर यह कोशिश की जा रही है। एसोसिएशन की प्रेरणा से लोग अपने पूर्वजों की याद में पौधे लगा रहे हैं। एसोसिएशन सदस्य प्रदीप रेढू ने बताया कि पौधारोपण की इस मुहिम से नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिल रही है। वहीं शहर के वैश्य बीएड कालेज की प्राचार्या डा. आशा शर्मा भी अकेली ही पौधारोपण अभियान चला रही हैं। उन्होंने काफी संख्या में पौधे लगाए भी हैं और पौधे वितरित भी किए हैं। वे कहती हैं कि प्रकृति के नजदीक रहकर ही शांति और अच्छा स्वास्थ्य मिल सकता है।

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