हरियाणा में लॉकडाउन बढ़ने की आहट से पैदल ही अपने घर की ओर चल दिए बाहरी राज्यों के श्रमिक
बस अड्डों और रास्तों पर पर एक बार फिर भीड़ बढ़ने लगी है। कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच उत्तर प्रदेश बिहार राजस्थान आदि राज्यों से आए हुए प्रवासी मजदूर एक बार फिर अपने घरों की ओर पैदल ही जाना शुरू हो गया है।
ढिगावा मंडी [मदन श्योराण] कोरोना के मामलों में एक बार फिर बढ़ोतरी के साथ प्रवासी मजदूरों के मन में भी असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है। बस अड्डों और रास्तों पर पर एक बार फिर भीड़ बढ़ने लगी है। कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान आदि राज्यों से आए हुए प्रवासी मजदूर एक बार फिर अपने घरों की ओर पैदल ही जाना शुरू हो गया है।
बस अड्डों पर भीड़ बढ़ने लगी है तो दूसरी और दिल्ली पिलानी नेशनल हाईवे पर पैदल चलते हुए मजदूर नजर आ रहे हैं, जो 2020 में लॉकडाउन के बाद के हालात की याद दिलाता है, जब अपने घर जाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को साधन नहीं मिले तो वे पैदल ही मीलों दूर अपने गांव-घर लौट चले थे।
देश में कोविड-19 के मामलों में जनवरी-फरवरी में कमी दर्ज की गई थी, लेकिन अप्रैल माह में जब एक बार फिर संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी शुरू हुई तो इसकी रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में कई जगह प्रतिबंधों की घोषणा की गई है। साप्ताहिक लॉकडाउन की घोषणा की गई है तो कहीं कर्फ्यू की। हालात बिगड़ते देख प्रवासी मजदूरों में एक बार फिर घर पहुंचने की बेचैनी खड़ी हो गई है।
कोविड-19 के कारण जब बीते साल मार्च में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, लेकिन अक्टूबर-नवंबर तक संक्रमण के मामलों में कमी और आर्थिक गतिविधियों का संचालन शुरू होने के बाद प्रवासी मजदूर काम की तलाश में एक बार फिर बाजार, अनाज मंडी, और बड़े किसानों के खेतों में काम करने के लिए लौटने लगे थे। लेकिन अब कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच एक बार फिर वही हालात नजर आ रहे हैं।
महेंद्र यादव, नीरज यादव अपने परिवार के करीब डेढ़ दर्जन लोगों के साथ क्षेत्र के गांव में मजदूरी करने के लिए आए थे, उन्होंने बताया कि कोरोना लगातार बढ़ता जा रहा है, हालात बेकाबू हो रहे हैं। अब तो जान बच जाए और घर सुरक्षित पहुंच जाएं इससे बड़ी और कोई बात नहीं है। जिंदगी रही तो फिर फिर आएंगे और कमाएंगे। फिलहाल जैसे तैसे घर पहुंचना है।