युवा शोधार्थियों के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडिग को जानना जरूरी : केपी सिंह
जागरण संवाददाता हिसार युवा शोधार्थियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फंडिग की जानकारी
जागरण संवाददाता, हिसार : युवा शोधार्थियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फंडिग की जानकारी होना बहुत जरूरी है। जानकारी के अभाव में देश के युवा शोधार्थी फंडिग व अन्य कारकों के चलते अपने शोध को बेहतर ढंग से करने में समर्थ नहीं हो पाते। उक्त विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहे। वे युवा शोधार्थियों के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडिंग : एक अवसर विषय पर आयोजित ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार का आयोजन राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना द्वारा विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के सहयोग से किया गया।
वेबिनार के मुख्य वक्ता क्वींसलैंड विश्वविद्यालय आस्ट्रेलिया के पर्यावरण एवं विज्ञान विभाग के वरिष्ठ पर्यावरण अधिकारी डॉ. राजेश जलोटा थे। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. जलोटा ने कहा कि देश में सूखा सहनशक्ति तकनीक पर अधिक काम करने की जरूरत है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन का सीधा असर कृषि पर पड़ता है। इसलिए इस प्रकार की तकनीक को अपनाना होगा जो कृषि क्षेत्र में अधिक कारगर हो। उन्होंने युवा शोधार्थियों से अपील की कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध के लिए अधिक से अधिक संभावनाएं जुटाएं ताकि उनकी शोध प्रक्रियांए निरंतर जारी रह सकें। उन्होंने युवा शोधार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने प्रोजेक्ट फंडिग एजेंसी के उद्देश्य और अपनी समस्या को ध्यान में रखकर प्रस्तुत करें ताकि फंडिग में किसी प्रकार की दिक्कत न हो। डॉ. राजेश जलोटा ने बताया कि मौजूदा समय में यूरोप, आस्ट्रेलिया व यूएस जैसे देशों में फंडिग की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए अपने प्रोजेक्ट प्रस्तुत करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि अधिकाधिक फंडिग मिल सके। वेबिनार में परियोजना निदेशक डॉ. विनोद बत्रा सहित विश्वविद्यालय के अनेक अधिकारी व शोधार्थी भी शामिल थे।