वतर्मान शिक्षा का उद्देश्य स्पष्ट नहीं : कोठारी

हिसार : देश को बदलना है तो शिक्षा में बदलाव लाना होगा। यह विचार शिक्षाविद्

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 06:42 AM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 06:42 AM (IST)
वतर्मान शिक्षा का उद्देश्य स्पष्ट नहीं : कोठारी
वतर्मान शिक्षा का उद्देश्य स्पष्ट नहीं : कोठारी

जागरण संवाददाता हिसार : देश को बदलना है तो शिक्षा में बदलाव लाना होगा। यह विचार शिक्षाविद् अतुल कोठारी ने व्यक्त किए। वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशालय की ओर से आधुनिक उच्च शिक्षा का प्राचीन भारतीय दृष्टिकोण विषय पर आयोजित विचार-गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद अपेक्षा थी कि देश की शिक्षा का स्वरूप भारतीय दृष्टिकोण से अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा वर्तमान में जो शिक्षा दी जा रही है उसका उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। यह शिक्षा ऐसे स्नातक तैयार कर रही है जो केवल नौकरी पाने के प्रयास करते हैं, नौकरी प्रदाता नहीं बन रहे। प्राचीन शिक्षा चरित्रवान व्यक्तित्व का निर्माण करती थी

उन्होंने कहा शिक्षा का पाठ्यक्रम हमारी आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए न कि हमें पाश्चात्य शिक्षा का अंधा अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने पुरातन भारतीय शिक्षा पद्धति का उल्लेख करते हुए कहा कि वह जीवन मूल्यों पर आधारित थी और पाश्चात्य शिक्षा पद्धति, जो कि समस्या उत्पन्न होने पर समाधान देती है, के विपरीत इस प्रकार की थी ताकि समस्या उत्पन्न ही न हो। वह उत्तम चरित्रवान व्यक्तित्व का निर्माण करती थी। उन्होंने कहा राष्ट्र निर्माण के लिए आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का समावेश होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा का पाठ्यक्रम मातृभाषा में होने पर भी बल दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष और एचएयू के कुलपति प्रो. केपी ¨सह ने कोठारी द्वारा छात्रों के भविष्य के लिए किए जा रहे कार्यो की सराहना की। इस अवसर पर छात्र कल्याण निदेशक डा. देवेन्द्र सिंह दहिया और बेसिक साइंस कॉलेज के डीन डा. राजवीर ¨सह भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डा. जयंती टोकस ने किया।

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