Kisan Andolan: आंदोलनकारियों की रेलवे ट्रैक पर चल रही है सभा, जहां-तहां खड़ी हैं ट्रेनें और परेशान हो रहे यात्री
आंदोलन के बीच एक माह से भी कम समय के अंदर ही आज दूसरा मौका है जब किसानों के कारण रेलवे मार्ग जाम है। आंदोलनकारियों की रेलवे ट्रैक पर ही सभा चल रही है और ट्रेनें जहां-तहां खड़ी हैं। उनमें सवार यात्री परेशान हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच एक माह से भी कम समय के अंदर ही आज दूसरा मौका है जब किसानों के कारण रेलवे मार्ग जाम है। आंदोलनकारियों की रेलवे ट्रैक पर ही सभा चल रही है और ट्रेनें जहां-तहां खड़ी हैं। उनमें सवार यात्री परेशान हो रहे हैं। कोई अपने परिवार के साथ कहीं पर फंसा है तो किसी का काम अटका हुआ है।
गंतव्य तक पहुंचने के लिए लोग ट्रेनों में निकले, मगर बार-बार आंदोलनकारियों का इस तरह रेलमार्ग जाम किया जाना आम आदमी को परेशान कर रहा है। छह घंटों तक रेलमार्ग ठप है। आंदोलनकारियों के पहले से ऐलान को देखते हुए कुछ लोगों ने तो सुबह ही अपना इंतजाम कर लिया था या फिर दूसरे साधनों का रुख कर लिया था, मगर जो दूर दराज की ट्रेनों में अपने गंतव्याें तक जाने के लिए निकले थे या फिर जिन्हें आंदोलनकारियों की इस गतिविधि का ध्यान नहीं रहा, उनके लिए रास्तों में संकट खड़ा हो गया।
अब त्योहारों का मौसम चल रहा है। कोरोना की करीब पौने दो साल से मार झेल रहे उद्याेग और व्यापार जगत किसी तरह पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आंदोलन उनके ऊपर ग्रहण की तरह छाया हुआ है। दिल्ली की सीमाओं को बंद करके बैठे आंदोलनकारियाें की तरफ से कभी जाम, कभी प्रदर्शन तो कभी दूसरी गतिविधियों के कारण जनजीवन के साथ-साथ काम धंधा भी बुरी तरह प्रभावित हाे रहा है।
अब तो हालात यह है कि लोग टीकरी बार्डर को तो भूल ही गए हैं। दिल्ली के रास्ते खुलने की उम्मीद भी धूमिल होती जा रही है। सरकार की तरफ से तो कोर्ट के आदेशों के बाद ही कोई कदम उठाने की बात कही जा रही है, लेकिन कोर्ट की ओर से इस बारे में क्या रुख अपनाया जाता है, इसका सभी को इंतजार है।