Kisan Andolan One Year: सैंकड़ों हुए बेरोजगार, उद्योगपतियों का 20 हजार करोड़ का नुकसान, ग्रामीणों ने झेला दंश
कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ करीब एक साल से चल रहे आंदोलन के कारण करीब 20 हजार करोड़ का नुकसान झेल चुके उद्यमियों को अब उम्मीद है कि यह खत्म होगा। मगर एमएसपी व अन्य मांगों को लेकर आंदोलन अभी जारी रह सकता है।
जागरण संवाददाता, हिसार/बहादुरगढ़: बीते एक साल से दिल्ली के साथ लगती सीमाएं बंद हैं। इनसे कच्चे माल की सप्लाई बहादुरगढ़ में चलने वाले उद्योगों तक पहुंचती थी, मगर जब यह बंद हुई तो उद्योग ठप होने लगे। कई छोटे उद्योग बंद भी हो गए। जिसके चलते कई लोग बेरोजगार हुए। झाड़ौदा बार्डर से निकलने वाले वाहनों के कारण मिट्टी से कई एकड़ में सब्जी की फसल तबाह हो गई। दिल्ली जाने के रास्ते बंद होने से स्थानीय किसान बेहद परेशान हैं। एक साल में उद्योगपतियों को करीब 20 हजार करोड़ रुपये की चपत लग चुकी है। बहादुरगढ़ में पांच दूसरे राज्यों के पांच मजदूर नौकरी चले जाने से आत्महत्या कर चुके हैं।
पीएम मोदी की ओर से तीन कृषि कानून वापस लिए जाने पर यहां के उद्यमियों ने भी खुशी जताई, मगर अभी आंदोलन के खत्म होने काे लेकर कुछ कह पाना मुश्किल है। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ करीब एक साल से दंश झेल रहे लोगों को उम्मीद है कि आंदोलन खत्म होगा और उनका व्यापार पटरी पर आ जाएगा। दिल्ली से आवागमन के रास्ते मिल जाएंगे। उनका व्यापार दौड़ेगा। लोगों को रोजगार भी मिलेगा। नुकसान कम होगा।
दरअसल, 26 नवंबर को शुरू हुए आंदोलन की वजह से बहादुरगढ़ की छोटी-बड़ी करीब सात हजार इंडस्ट्री को सीधे तौर पर नुकसान हुआ था। लाखों लोगों का रोजगार छिन गया था। दिल्ली से कच्चा माल लाने व तैयार माल ले जाने के लिए अतिरिक्त किराया देना पड़ रहा था। यहां की करीब 1600 फैक्ट्रियां कई माह तक तकरीबन बंद पड़ी रही थी। इससे उद्यमियों को काफी नुकसान हुआ था और उन्होंने रास्ते खुलवाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी गुहार लगाई थी।
गोभी की फसल पर जम गई थी मिट्टी की परत, करोड़ों का हुआ था नुकसान
किसान आंदोलन के कारण पिछले साल हजारों एकड़ में खड़ी गोभी की फसल समय पर बिक्री न होने की वजह से खराब हो गई थी। साथ ही खेतों से वाहनों के आवागमन के कारण गोभी के फूल पर मिट्टी जमा होने से वह बिक्री लायक भी नहीं रही थी। किसी ने भी गोभी की फसल को नहीं खरीदा था। जबकि यहां के किसान सब्जी की खेती पर ही निर्भर हैं। इस कारण इन दोनों गांवों में किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ था। झाड़ौदा के किसानों ने बार्डर खुलवाने के लिए संघर्ष भी किया था, जिसके चलते झाड़ौदा बार्डर खोला गया था। मगर किसान आंदोलन इस साल भी अब तक खत्म नहीं हुआ है।
...आंदोलन की वजह से काफी परेशानी चल रही है। तीन कृषि सुधार कानून अब वापस लेने की घोषणा की गई है तो यह बड़ी खुशी की बात है। अब आंदोलन खत्म होने के बाद बहादुरगढ़ के उद्योग धंधे व अन्य काम धंधे पटरी पर लौटेंगे। लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां की प्रगति होगी।
- -- आरबी यादव, इंडस्ट्री सलाहकार।
....पीएम मोदी की घोषणा से उद्यमियों व कामगारों में खुशी है। हम एक साल से नुकसान झेल रहा था। कामगार भी परेशान थे। रोजगार भी खत्म हो रहा था। मगर अब आंदोलन खत्म होगा तो यह उम्मीद है। इससे जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई व्यापार पटरी पर आने के बाद होगा।
- -वरिंद्र कुमार, वाइस प्रेजिडेंट, रिलेक्सो फुटवियर, बहादुरगढ़।
पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करके हर वर्ग को खुशी दी है। यह किसानों की जीत है। अब हमें भी उम्मीद है कि आंदोलन खत्म होगा और उनका व्यापार भी अच्छा चलेगा।
-- -नरेंद्र छिकारा, वरिष्ठ उपप्रधान, बहादुरगढ़ फुटवियर पार्क एसोसिएशन।