Kisan Andolan: दिल्ली के रास्ते खुलने को लेकर अब चार अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी नजरें
Kisan Andolan सिंघु और टीकरी बार्डर के आसपास के लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात करके रास्ते खोलने में सरकार की तरफ से प्रभावी कदम उठाने की मांग की थी तो उन्होंने भी 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का सकारात्मक फैसला आने की उम्मीद जताई।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के बीच रास्ते खोलने के मसले पर अब हर किसी को सुप्रीम कोर्ट में 4 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई का इंतजार है। एक दिन पहले सिंघु और टीकरी बार्डर के आसपास के लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात करके रास्ते खोलने में सरकार की तरफ से प्रभावी कदम उठाने की मांग की थी तो उन्होंने भी 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का सकारात्मक फैसला आने की उम्मीद जताई और उसके बाद ही सरकार की तरफ से कोई कदम उठाने की बात कही। ऐसे में बहादुरगढ़ के व्यापारी, उद्यमी, दुकानदार और आम आदमी इस इंतजार में है कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर कोई प्रभावी फैसला दे ताकी सरकार भी कोई कदम उठाने के लिए बाध्य हो।
हर वर्ग परेशान है
आखिरकार इतनी लंबी अवधि तक देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं को बंद करने का क्या औचित्य है। इससे रोजगार, व्यापार, उद्योग समेत हर तरह का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। हर वर्ग इससे परेशान भी हैं। आंदोलनकारियों का तो कोई काम रुक नहीं रहा है लेकिन जो दूसरे वर्ग हैं वे तो परेशान है ही। पिछले दिनों बहादुरगढ़ के उद्यमियों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से मांग करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि उस पर उम्मीद के अनुसार फैसला नहीं आ सका। कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख नवंबर में तय कर रखी है। इधर आंदोलन को 10 माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है।
27 नवंबर को आंदोलनकारियों ने डाला था डेरा
पिछले साल 26 नवंबर को यह आंदोलन शुरू हुआ था और 27 नवंबर की सुबह दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनकारियों ने डेरा डाल दिया था। तब से ही टीकरी बार्डर बंद है। बीच में झाड़ौदा बार्डर भी काफी दिनों तक बंद रहा, लेकिन आसपास के किसानों और अन्य लोगों की ओर से लगातार धरने प्रदर्शन के बाद इस बार्डर को खोला गया था। चूंकि दिल्ली में हर लिहाज से आवाजाही टीकरी बार्डर से ही ज्यादा होती है, इसलिए इस बार्डर के खुलने का इंतजार सभी को है।