Kisan Andolan News: आंदोलन पर बार-बार फैसला टालने से दुविधा में फंसे लोग, खत्म होने का इंतजार

आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से संसद कूच तो स्थगित कर दिया गया है लेकिन आंदोलन खत्म होगा या नहीं इसका फैसला करने के लिए फिर से मीटिंग में तय नहीं हो सका। इससे लोग दुविधा में फंस गए हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 08:23 AM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 08:23 AM (IST)
Kisan Andolan News: आंदोलन पर बार-बार फैसला टालने से दुविधा में फंसे लोग, खत्म होने का इंतजार
किसान आंदोलन को खत्‍म नहीं करने से बार्डरों के पास स्‍थानीय निवासी बेहद परेशान हैं

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर जारी आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से संसद कूच तो स्थगित कर दिया गया है लेकिन आंदोलन खत्म होगा या नहीं इसका फैसला करने के लिए फिर से मीटिंग में तय नहीं हो सका। इससे लोग दुविधा में फंस गए हैं।शनिवार की बैठक में यह निर्णय किया गया कि सरकार की ओर से संसद के सत्र के दौरान तीनों कृषि कानूनों की वापसी के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाएगी उसकी समीक्षा की जाएगी।

उसके बाद ही आगामी कोई निर्णय लिया जाएगा। वैसे तो आंदोलन के बीच एमएसपी गारंटी कानून और अन्य मांगों को पूरा कराने की आवाज भी उठा रही है लेकिन कानूनों की वापसी की मांग ही एक साल बाद पूरी हो पाई है। वह भी सरकार की ओर से कोई बातचीत किए बिना प्रधानमंत्री की ओर से घोषणा कर दी गई। जाहिर है कि यह बाकी प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी।

सरकार के इस फैसले को आंदोलनकारी अपनी जीत बता रहे हैं और सरकार को झुकाने का दम भर रहे हैं लेकिन आंदोलन तो बेहद कमजोर पड़ चुका था। खुद आंदोलनकारियों को भी यह उम्मीद नहीं थी कि कानून वापस हो जाएंगे। हरियाणा के किसान तो कानूनों में संशोधन की ही बात को सही ठहराते रहे हैं और एमएसपी गारंटी कानून को ज्यादा प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं, लेकिन पंजाब के किसानों की पहली मांग कृषि कानूनों की वापसी ही रही है।

नारा भी यही दिया जाता रहा है कि जब तक कृषि कानूनों की वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। अब जबकि कृषि कानूनों की वापसी की प्रक्रिया तो चल रही है तो लोगों को यह इंतजार भी है कि आंदोलनकारियों की तरफ से घर वापसी कब की जाएगी, क्योंकि टीकरी बार्डर बंद हुए एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। 26 नवंबर 2020 को यह बार्डर बंद हो गया था। उसके बाद से चौपहिया वाहनों के लिए यहां से रास्ता नहीं खुला।

कुछ दिनों पहले आंदोलनकारियों से बातचीत के बाद पुलिस ने रास्ता खोलने का प्रयास तो किया, लेकिन आंदोलनकारियों ने पूरा रास्ता नहीं खुलने दिया। केवल दोपहिया वाहनों और पैदल राहगीरों की ही यहां से आवाजाही हुई।अब सभी को आंदोलन खत्म होने का इंतजार है ताकि एक साल से जो परेशानियां और नुकसान झेलने को विवश हुए हैं, वह अब और ज्यादा न हो।

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