Kisan Andolan News: आंदोलन खत्म न करने से आम आदमी की चिंता बढ़ी, अब 7 दिसंबर की बैठक का इंतजार

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है और आंदोलन को जारी रखते हुए अगली बैठक तय कर दी गई है उससे आम आदमी चिंता में है। एक साल से ज्यादा समय से यह आंदोलन चल रहा है। इससे बहादुरगढ़ को भारी क्षति पहुंच चुकी है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 09:37 AM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 09:37 AM (IST)
Kisan Andolan News: आंदोलन खत्म न करने से आम आदमी की चिंता बढ़ी, अब 7 दिसंबर की बैठक का इंतजार
आंदोलन खत्‍म नहीं होने से नुकसान बढ़ता जा रहा है, आम आदमी और उद्योगपति परेशान हैं

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : कृषि कानूनों को केंद्र सरकार की ओर से निरस्त किए जाने के बावजूद अब जिस तरह से संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है और आंदोलन को जारी रखते हुए अगली बैठक तय कर दी गई है उससे आम आदमी चिंता में है। एक साल से ज्यादा समय से यह आंदोलन चल रहा है। इससे बहादुरगढ़ को भारी क्षति पहुंच चुकी है। पहले तो आंदोलनकारियों और सरकार के बीच खींचतान थी कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाएगा या नहीं।

मगर अब तो संसद में यह कानून रद हो चुके हैं। स्वाभाविक तौर पर यह किसानों की सबसे बड़ी मांग थी जो पूरी हो चुकी है, लेकिन अब एमएसपी को लेकर अड़चन डाली जा रही है। सरकार की ओर से एमएसपी पर कमेटी बनाने की पहले ही घोषणा की जा चुकी है और इसके लिए आंदोलनकारियों से नाम भी मांगे गए थे लेकिन अब कमेटी की बजाय सीधा कानून की गारंटी देने का मुद्दा उठाया जा रहा है। जो पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है उसकाे लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि यह कमेटी केवल सरकार से एमएसपी को लेकर बातचीत करेगी। सरकार की ओर से जो कमेटी बनाई जानी है उसमें ये लोग शामिल नहीं हैं। उस कमेटी में शामिल होने के लिए तो किसान तैयार ही नहीं है।

अब माना जा रहा है कि कुछ-कुछ दिन करके संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बैठक को टाला जाएगा। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा तो प्रधानमंत्री की ओर से 19 नवंबर को ही कर दी गई थी। उसके बाद से किसान मोर्चा की कई बैठक हो चुकी हैं। हर बार अगली बैठक तय कर दी जाती है मगर आंदोलन को खत्म करने का फैसला नहीं लिया जा रहा। एमएसपी और अन्य कई मांगे जोड़ी जा रही हैं और सभी मांगें पूरी होने तक आंदोलन को जारी रखने का तर्क दिया जा रहा है।

इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली के बार्डर पर बैठे आंदोलनकारी भी अब थक चुके हैं। पंजाब के आंदोलनकारी तो उसी दिन से ही घर वापसी का मन बनाए हुए हैं जिस दिन से प्रधानमंत्री की ओर से कानून वापस लिए जाने की घोषणा की गई थी। उसके बाद संसद में इन कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया पूरी करने का इंतजार था। वह प्रक्रिया भी हो चुकी है, मगर बहादुरगढ़ के उद्योग, व्यापार अौर आम आदमी को जाने कब राहत मिलेगी।

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