Kisan Andolan News: आंदोलनकारियों की घर वापसी को लेकर हां-ना से उद्यमियों और व्यापारियों की सांसे अटकी, अब बैठक का इंतजार
वापसी को लेकर जिस तरह से हां-ना हाे रही है उससे बहादुरगढ़ के उद्यमियों और व्यापारियों की सांसें अटक गई है। अटकलों के बीच अब जिस तरह की बातें सामने आ रही है उससे यह आशंंका जोर पकड़ रही है कि आंदोलन जल्द खत्म होगा या नहीं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद आंदोलनकारियों की अब घर वापसी को लेकर जिस तरह से हां-ना हाे रही है, उससे बहादुरगढ़ के उद्यमियों और व्यापारियों की सांसें अटक गई है। पिछले कई दिनों से पंजाब के किसानों की जल्द घर वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच अब जिस तरह की बातें सामने आ रही है उससे यह आशंंका जोर पकड़ रही है कि आंदोलन जल्द खत्म होगा या नहीं।
एक साल का वक्त आंदोलनकारियों ने भले ही अपनी मांगें मनवाने के लिए सड़क पर बिताया, मगर इस एक साल में बहादुरगढ़ ने जो आर्थिक नुकसान झेला हैै, उसकी भरपाई होने में लंबा वक्त लगेगा। अब हालात यह है कि एक नेता यदि घर वापसी की बात करता ताे दूसरा अभी यहीं पर डटे रहने पर अड़ जाता है। एेसे में आंदोलन खत्म करने को लेकर अभी सहमति नहीं बन पा रही है।
यही स्थिति उद्यमियों और व्यापारियों को परेशान कर रही है। उन्हें लग रहा है कि यदि आंदोलन और लंबा खिंचा तो उन्हें परेशानी और ज्यादा होगी। एक तरफ आंदोलन खत्म नहीं हो रहा है आैर दूसरी तरफ कोरोना की तीसरी लहर को लेकर संभावना प्रबल हाे रही है। काेरोना काल की शुरूआत से ही व्यापक नुकसान हुआ है। साथ में आंदोलन की वजह से बहादुरगढ़ को सबसे ज्यादा क्षति पहुंची है। यहां पर कई हजार उद्योग हैं। इनमें से काफी उद्योग इस आंदोलन की चपेट में आए। उनमें उत्पादन ठप हो गया। हजारों लोगाें का रोजगार छूट गया। कई बड़े उद्योग तो आंदोलन शुरू होने के दिन से ही ठप हैं। उनके तो गेट के सामने ही आंदोलनकारियों का धरना चल रहा है। आंदोलन की वजह से दिल्ली में आवाजाही भी आसान नहीं है। पिछले दिनों टीकरी बार्डर से भी आंदोलनकारियों ने पूरा रास्ता नहीं खुलने दिया था। अब तो आंदोलन खत्म होने के बाद ही यहां से रास्ता खुलेगा, लेकिन ऐसा कब हाेगा, इसी का सभी को इंतजार है।