Kisan Andolan News: पंजाब के गांवों में फिर से चलेगा जागरुकता अभियान, आंदोलन में भीड़ जुटाने की होगी कवायद

आंदोलन को नौ माह से अधिक समय बीत चुका है। आंदोलन को मजबूत बनाए रखना किसान नेताओं के लिए चुनौती बना हुआ है। आंदोलन को मजबूत बनाए रखने के लिए हर रोज आंदोलनकारी कुछ न कुछ नया तरीका अपनाने की सोचते रहते हैं

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 08:12 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 08:12 AM (IST)
Kisan Andolan News: पंजाब के गांवों में फिर से चलेगा जागरुकता अभियान, आंदोलन में भीड़ जुटाने की होगी कवायद
किसान आंदोलन में भीड़ बढ़ाने को लेकर किसानों ने नीति बनाई है

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को नौ माह से अधिक समय बीत चुका है। आंदोलन को मजबूत बनाए रखना किसान नेताओं के लिए चुनौती बना हुआ है। आंदोलन को मजबूत बनाए रखने के लिए हर रोज आंदोलनकारी कुछ न कुछ नया तरीका अपनाने की सोचते रहते हैं। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की ओर से आटो मार्केट में चल रही सभा का संचालन हर रोज अलग-अलग वर्ग के नेताओं के पास रहता है।

कभी महिला तो कभी युवा तो कभी किसान तो कभी मजदूर वर्ग के हाथों में सभा की कमान होती है। वहीं अब यूनियन के नेताओं ने आंदोलन की मजबूती के लिए फिर से पंजाब के गांवों में जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इस अभियान की जिम्मेदार यूनियन के नेताओं को दी गई है। अभियान के दौरान ग्रामीणों को सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर जागरूक किया जाएगा और तीन कृषि कानूनों को लेकर जानकारी दी जाएगी।

उन्हें बार्डरों पर चल रहे आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया जाएगा ताकि आंदोलन को मजबूती मिल सके। यूनियन के नेता लीला सिंह जेठुके व वीरेंद्र मनकी संगरूर ने कहा कि देश में शासन करने वाले सभी वोटिंग दलों की सरकारें विकास के नाम पर मुनाफा कमाने के लिए पूंजीपतियों को उदार रियायतें देती रही हैं। यहीं कारण है कि मेहनतकश लोगों को दशकों से लूटा जा रहा है। इसलिए हमें इन सब बातों को समझना चाहिए। हर आदमी को यह बात समझनी चाहिए।

गांवों में ग्रामीणों को भी यह बात समझाने के लिए हमें सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर अभियान चलाना चाहिए और ग्रामीणों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहा और राज्य सचिव शिंगारा सिंह मान कहते हैं कि एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहती है लेकिन फसल की लागत के अनुसार भाव काफी कम देती है। उन्होंने कहा कि डा. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों की सभी वास्तविक लागत की गणना की जानी चाहिए और सभी फसलों की कीमतें उचित लाभ पर तय की जानी चाहिए।

केंद्र सरकार किसान संगठनों के साथ बैठक के दौरान एमएसपी की बात कर रही थी लेकिन दो या तीन राज्यों में केवल तीन फसलों की खरीद की जाती है। उन्होंने मांग की कि सभी फसलों के उचित लाभ पर कीमतें तय कर सभी राज्यों में सभी फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी दी जाए।

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