Kisan andolan: लंबा खिंचता जा रहा आंदोलन, कम होते जा रहे वक्ता, उनमें भी पहले जैसा जोश नहीं

आंदोलन जल्द ही 11वां महीना भी पूरा कर जाएगा। यह आंदोलन लगातार लंबा खिंचता जा रहा है। सरकार और किसान अपनी-अपनी बात पर अडिग हैं। ऐसे में नजदीक भविष्य में इस आंदोलन का हल निकलता नजर नहीं आ रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 10:49 AM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 10:49 AM (IST)
Kisan andolan: लंबा खिंचता जा रहा आंदोलन, कम होते जा रहे वक्ता, उनमें भी पहले जैसा जोश नहीं
टीकरी बार्डर के सभा स्थल पर कम होते जा रहे हैं आंदोलनकारी, अब 100-120 तक सिमटी संख्या

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन जल्द ही 11वां महीना भी पूरा कर जाएगा। यह आंदोलन लगातार लंबा खिंचता जा रहा है। सरकार और किसान अपनी-अपनी बात पर अडिग हैं। ऐसे में नजदीक भविष्य में इस आंदोलन का हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। आंदोलन जितना लंबा खिंचता जा रहा है, उतना ही नहीं आंदोलन स्थल पर मायूसी साफ देखी जा रही है। वहीं आंदोलन में किसानों की कमी खेतों में काम होने के चलते भी देखी जा रही है।

हालांकि आंदोलनकारियों का जज्बा कम नहीं हुआ है लेकिन 10 माह से ज्यादा समय से आंदोलन चला आ रहा है ऐसे में किसान भी थक चुके हैं। उनके चेहरे पर उदासियां साफ देखी जा रही हैं। यहीं कारण है कि अब आंदोलन में पहले जैसी बात नहीं रही है। अब टीकरी बार्डर की मेन सभा पर वक्ताओं की संख्या भी कम हो गई है। पहले जहां वक्ताओं को बोलने का समय ही नहीं मिल पाता था वहीं अब 10-12 वक्ता ही मंच से बोल रहे हैं। उनमें भी अधिकांश वक्ता कुछ किसान नेता ही हैं।

पहले तो हर रोज नए-नए वक्ता भारी संख्या में टीकरी बार्डर पहुंचते थे लेकिन अब उनकी संख्या कम है। साथ ही अब सभा में आंदोलनकारी भी कम ही आ रहे हैं। सभा स्थल पर अब हाजिरी 100-120 तक ही सिमट कर रह गई है। वहीं वीरवार को किसानों के साथ हरियाणा के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक भी नहीं हुई।

ऐसे में यहां के व्यापारियों, दुकानदारों व आमजन की भी बार्डर खुलने की आस कम होती जा रही है। एक बार तो प्रदेश सरकार व अधिकारियों की ओर से शुरू हुए बैठकों के दौर से ऐसा लगा था कि बार्डर खुल जाएगा, मगर अब नवदीक भविष्य में ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में आमजन के साथ-साथ व्यापारियों का आर्थिक नुकसान व उनकी परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं।

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