किसान आंदोलन फिर विवादों में, सिरसा में किसान नेताओं पर चंदा चोरी का आरोप, यह है मामला
किसान आंदोलन में नया विवाद खड़ा हो गया है। सिरसा में राजद्रोह में गिरफ्तार 5 किसानों की रिहाई के लिए पांच दिन किसान पड़ाव चला था। लोगों ने बैठक कर किसान नेताओं पर गुमराह करने का आरोप लगाया। प्रशासन से मिलीभगत का आरोप लगाया।
जागरण संवाददाता, सिरसा। कृषि कानूनों के खिलाफ सिरसा में आंदोलन कर रहे किसान नेता विवादों के घेरे में आ गए हैं। शनिवार को किसान आंदोलन से जुड़े लोगों ने भगत सिंह खेल परिसर स्टेडियम में बैठक की और किसान नेता प्रह्लाद सिंह भारूखेड़ा, लखविंद्र सिंह औलख पर लोगों को गुमराह करने के आरोप लगाए।
किसानों ने कहा कि डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर पथराव करने मामले में पकड़े गए पांच किसानों की रिहाई की मांग को लेकर 18 से 23 जुलाई तक बरनाला रोड पर किसानों का पड़ाव चला था। इस दौरान इन किसान नेताओं ने प्रशासन के साथ मिलीभगत कर लोगों को गुमराह किया। उपस्थित लोगों ने कहा कि एक तरफ किसान नेता दावा कर रहे हैं कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले रद हुए हैं। वहीं, असलीयत यह है कि किसानों की 50-50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत हुई है।
भगत सिंह खेल परिसर स्टेडियम में शनिवार दोपहर को आयोजित बैठक में जिला बार एसोसिएशन के प्रधान गुररतन पाल सिंह किंगरे, भूपेंद्र नंबरदार, सिकंदर रोड़ी, राकेश दहिया, रोशन सुचान, हरविंद्र थिंद सहित बड़ी संख्या में किसान आंदोलन से जुड़े प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सबने एक स्वर में कहा कि किसान नेता आंदोलन की आड़ में चंदा खा रहे हैं और सरकार के दलाल हैं। एक किसान नेता अकाली दल से जुड़ा है तो दूसरा क्लीन शेव होने के बावजूद पीली पगड़ी बांधकर भगत सिंह को बदनाम कर रहा है।
पहले दिन से ही किसानों से झूठ बोला
किसान प्रतिनिधि राकेश दहिया ने कहा कि किसानों की रिहाई को लेकर शुरू किए गए आंदोलन में पहले दिन से ही किसानों से झूठ बोला गया। भूपेंद्र नंबरदार वेदवाला ने कहा कि प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा पर पहले भी चंदा चोरी के आरोप लगे हैं। वह कभी दुष्यंत की कोठी का घेराव करने नहीं गया। पक्का मोर्चा पर रणजीत सिंह व दुष्यंत के ही नाम क्यों लिखे हैं, सांसद दुग्गल का क्यों नहीं लिखा गया। जिस दिन डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर पथराव हुआ उस दिन यूनिवर्सिटी के दो नंबर गेट पर खुद भारूखेड़ा मौजूद था। ये लोग अपना चेहरा चमकाने के लिए लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
बलदेव सिंह सिरसा लोगों के बीच आकर पक्ष रखें
किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि इस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े हुए बलदेव सिंह सिरसा को भी आमजन के बीच आकर अपना पक्ष रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की रिहाई के लिए धरना शुरू किया था। लेकिन जब केस वापस हुए ही नहीं तो आंदोलन खत्म क्यों किया। उन्होंने कहा कि तथाकथित किसान नेताओं ने प्रशासन के साथ मिलीभगत कर प्रदर्शनकारियों की जमानतें करवाई। जमानत के लिए वकील भी रोहतक से किया गया।
18 से 23 जुलाई तक किसानों ने दिया था धरना
वर्णनीय है कि बीती 18 जुलाई से 23 जुलाई तक डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर पथराव मामले में पुलिस ने पांच प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग को लेकर बरनाला रोड पर किसानों ने धरना दिया था। वहीं किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने आमरण अनशन किया था। पांच दिन के आमरण अनशन के बाद प्रशासन ने वीरवार शाम को किसानों को जमानत पर रिहा किया था। इसके बाद बलदेव सिंह सिरसा ने अपना अनशन खत्म किया था।
सरकार के एजेंट लगा रहे आरोपः भारूखेड़ा
वहीं इस बारे में किसान नेता प्रह्लाद सिंह भारूखेड़ा ने कहा कि जीपीएस किंगरे का आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। सरकार ने चाहती है लोगों को भ्रमित किया जाए और बांटा जाए। ये सरकार के एजेंट हैं और सरकार की भाषा बोल रहे हैं। सरकार ने पहले तो आंदोलन के दबाव में किसानों को जमानत दी। अब ऐसे लोगों के माध्यम से विरोध के स्वर उठवा रही है। हमें हमारे किसान छुड़वाने थे। हमने छुड़वा लिए। सरकार ने उन्हें कैसे रिहा किया, यह उसका काम है।
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