Kisan Andolan: 10 अगस्त को तीज मनाएंगे किसान, नौ को महिलाओं का जत्था जाएगा संसद पर

नौ अगस्त को किसान संसद की कमान महिलाओं के हाथ में होगी। सभी किसान यूनियनें अपने-अपने जत्थे से महिलाओं का चयन कर रही हैं। आंदोलन को ज्यादा लंबा चलाने के लिए कभी महिलाओं तो कभी युवाओं को सभा की कमान दी जा रही है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 09:40 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 10:16 AM (IST)
Kisan Andolan: 10 अगस्त को तीज मनाएंगे किसान, नौ को महिलाओं का जत्था जाएगा संसद पर
वैशाखी, होली, दुल्हेंडी के बाद अब किसानों की तीज भी टीकरी बॉर्डर पर मनाने की तैयारी है।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को आठ माह से अधिक समय हो गया है। इस दौरान आंदोलनकारियों ने वैशाखी, होली, दुल्हेंडी आदि पर्व यहीं पर मनाए। अब हरियाली तीज का त्योहार भी आंदोलनकारियों की ओर से यहीं पर धूमधाम से मनाया जाएगा। 10 अगस्त को यह त्योहार मनाया जाएगा। इसके लिए महिलाएं अभी से तैयारियों में जुट गई हैं।

इस दिन महिलाओं की ओर से पकवान बनाए जाएंगे और उन्हें किसानों में वितरित किया जाएगा। साथ ही नौ अगस्त को महिलाओं का जत्था एक बार फिर से दिल्ली संसद पर जाएगा। महिलाओं का जत्था दूसरी बार किसान संसद में भाग लेने जाएगा। इससे पहले भी एक दिन किसानों ने दिल्ली संसद के बाहर किसान संसद चलाई थी। नौ अगस्त को भी किसान संसद की कमान महिलाओं के हाथ में होगी, जिसके लिए महिलाओं का चयन किया जा रहा है।

सभी किसान यूनियनें अपने-अपने जत्थे से किसान संसद में भाग लेने के लिए महिलाओं के नामों का चयन कर रही हैं। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा की पंजाब के मोगा जिले की महिला नेता बछितर कौर ने नौ अगस्त को महिलाओं के संसद जाने के कार्यक्रम की तैयारियां की जा रही हैं।

आंदोलन को लंबा खींचने का प्रयास

उन्होंने बताया कि किसान आंदोलन को ज्यादा लंबा चलाने के लिए कभी महिलाओं को सभा की कमान दी जा रही है तो कभी युवाओं को। उनके मंच पर युवा भी भारी संख्या में भाग ले रहे हैंं। मंच से निर्णय लिया गया है कि युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए पंजाब में पंचायत स्तर पर युवाओं को जागरूक करें और उन्हें बार्डरों पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित करें। युवाओं की आंदोलन में भागीदारी जितनी ज्यादा होगी, उनकी जीत भी तुरंत निश्चित होगी। युवाओं के दम पर ही आंदोलन में मजबूती बनी हुई है। 

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