Kisan Andolan: पार्टी विरोध पर केंद्रित हो चुका आंदोलन, अब मिशन उप्र और उतराखंड की बन रही रणनीति
तीन कृषि सुधार कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन अब पार्टी विशेष के विरोध तक ही सीमित रह गया है। किसानों ने अब मिशन यूपी और उतराखंड शुरू करने रणनीति बनाई है। गाजियाबाद बॉर्डर पर इन दोनों राज्यों के किसान नेताओं की बैठक बुलाई जाएगी।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कृषि कानूनों की खिलाफत से शुरू होकर अब पार्टी विशेष के विरोध पर केंद्रित हो चुके आंदोलन के बीच अब प्रदर्शकारियों द्वारा मूल मुददे से हटकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड चुनावों को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। इसमें पार्टी विशेष (भाजपा) के विरोध को तेज करने की रणनीति बन रही है।
जल्द ही इसको लेकर गाजियाबाद बॉर्डर पर बैठक बुलाई जाएगी। इसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान नेताओं को बुलाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बूटा सिंह ने टीकरी बॉर्डर पर एक चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। उनका कहना कि हमने इस आंदोलन को लेकर दो ही रास्ते तय किए हैं। एक तो यह है कि तीनों कानूनों को रद किया जाए और एमएसपी पर नया कानून बनाया जाए। नहीं तो भाजपा का पूरी तरह सफाया किया जाएगा। इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
राजनीति करने यहां नहीं आए
बूटा सिंह ने कहा कि हम कोई राजनीति करने यहां पर नहीं आए हैं। लेकिन, जब तक आंदोलन चलेगा, तब तक सत्ता पक्ष का विरोध जारी रहेगा। इसी कड़ी में संयुक्त मोर्चा ने यह तय किया है कि जिस तरह से विगत में चार राज्यों में भाजपा को हराने के लिए किसान संगठनों ने काम किया, उसी तरह का आह्वान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को लेकर भी किया जाएगा।
चुनावी राज्यों में की जाएंगी महापंचायतें
चुनावी राज्यों में किसानों द्वारा महापंचायतों का आयोजन भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आदोलन को सात माह पूरे होने पर 26 जून को देश भर में सभी राजभवनों के बाहर धरने दिए जाएंगे और राष्ट्रपति के नामित ज्ञापन सौंपे जाएंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री के आधी रात को भी वार्ता के लिए तैयार वाले बयान पर बूटा सिंह ने कहा कि हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं, मगर अब कृषि कानूनों को रद करने पर ही बात होगी।
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