Kisan Andolan: आंदोलन को पूरे हुए आठ माह, कई उतार-चढ़ाव आए, अब पुराने दिन लौटने का इंतजार

टीकरी बार्डर पर किसान आंदोलन से लगातार विवाद जुड़ते रहे। कभी हत्या कभी दुष्कर्म कभी चोरी कभी नशा कभी हुड़दंगबाजी जैसे मामले आंदोलन के बीच से ही सामने आए। आंदोलनकारियों की यही मांग है कि तीनों कानून वापस हो और एमएसपी पर कानून बने।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:33 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:33 AM (IST)
Kisan Andolan: आंदोलन को पूरे हुए आठ माह, कई उतार-चढ़ाव आए, अब पुराने दिन लौटने का इंतजार
किसान आंदोलन नवंबर 2020 को शुरू हुआ। दो महीने खूब उबाल रहा।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृ़षि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को आज सोमवार को आठ माह पूरे हो गए हैं। नवंबर 2020 से शुरुआत के बाद पहले दो महीनों में तो आंदोलन में उबाल रहा, मगर उसके बाद से यह ढलान पर है। इसमें कई उतार-चढ़ाव आए। अब पुराने दिन लौटने का इंतजार है।

अब यहां पर न पहले जितनी भीड़ बन पा रही है और न ही शासन-प्रशासन पर दबाव बनाने में आंदोलनकारी कामयाब हो रहे हैं। दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से तो आंदोलन में वह जोश बना ही नहीं। उसके बाद टीकरी बार्डर पर तो इस आंदोलन से लगातार विवाद जुड़ते चले गए। कभी हत्या, कभी दुष्कर्म, कभी चोरी, कभी नशा, कभी हुड़दंगबाजी जैसे मामले आंदोलन के बीच से ही सामने आए।

खत्म होती नहीं दिख रही आम आदमी की तकलीफ

कहने की जरूरत नहीं कि इस आंदोलन के कारण उद्योग और व्यापार का कहीं ज्यादा नुकसान उठा चुके बहादुरगढ़ में ज्यादातर नागरिक बेहद परेशान हैं। मगर यह जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा, क्योंकि शुरूआत से लेकर अब तक आंदोलनकारियों की जाे मांग है, उस पर वे बरकरार है। तीनों कानूनों की वापसी के अलावा एमएसपी पर कानून की जो मांग है, वह पूरी न कर पाने की सरकार भी मजबूरी जता चुकी है, लेकिन आंदोलनकारियों की यही मांग है कि तीनों कानून वापस हो और एमएसपी पर कानून बने।

बीच के रास्ते पर आंदोलनकारी राजी नहीं

इन दो बातों के अलावा आंदोलनकारी कोई तीसरी बात सरकार से करने को तैयार ही नहीं है। कोई बीच का रास्ता निकालने की बात पर आंदोलनकारी सोचने तक काे राजी नहीं है। इधर, बहादुरगढ़ के उद्योगपतियों की मांग है कि टीकरी बार्डर पर एक तरफ का रास्ता खुला जाए ताे बात बन जाए। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी मुलाकात की है और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिख चुके हैं। अब तक कुल मिलाकर आठ माह में आंदोलन की वजह से बहादुरगढ़ को हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका है। 

हिसार की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी