Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक पर टिकी नजरें, आंदोलन खत्म या नहीं इस पर होगा फैसला
आज संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बार्डर पर बैठक हो रही है। इस बैठक पर सभी की नजरें टिकी हुई है। आंदोलन को लेकर भी बैठक में फैसला लिया जा सकता है। बैठक में आंदोलन को खत्म करने का फैसला टलने के आसार हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद अब आंदोलन में जिस तरह के मसले उछल रहे है, उससे यह जल्द खत्म होने के आसार कम हो रहे हैं। आज शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बार्डर पर बैठक हो रही है। इस पर सभी की नजर टिकी हुई है। इसमें आंदोलन को खत्म करने का फैसला टलने के आसार हैं। अब इस आंदोलन में हरियाणा के किसान अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं और पंजाब के संगठन बैकफुट पर आ रहे हैं।
अभी और लंबा खिचेगा आंदोलन
आंदोलन की शुरूआत से ही पंजाब के आंदोलनकारियों की प्राथमिकता जहां तीनों कृषि कानूनों काे रद कराने की थी, वहीं हरियाणा के आंदोलनकारी एमएसपी का राग ज्यादा अलापते रहे। जब पंजाब से आंदोलनकारी चले तो उनकी एमएसपी को लेकर कोई मांग ही नहीं थी। सरकार के साथ 40 संगठनों की बातचीत में चार मांगे रखी गई थी। तब एमएसपी समेत चार मांग शामिल की गई थी। इनमें से दो पर सहमति पहले ही बन गई थी, लेकिन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर खरीद गारंटी का कानून बनाने का मसला महीनों तक उलझा रहा। पिछले दिनों सरकार ने तीनों कानून निरस्त कर दिए और एमएसपी पर कमेटी गठन का प्रस्ताव रखा। मगर अब आंदोलनकारियों की और मांग जुड़ गई हैं। यही वजह है कि जो आंदोलन इस महीने के पहले सप्ताह में खत्म होने के आसार थे, वह अब लंबा खिंचता नजर आ रहा है।
मांग पूरी नहीं हुई तो जारी रहेगा आंदोलन
हरियाणा का दबाव बढ़ने के बाद पंजाब के आंदोलनकारियों के सुर भी बदलने लगे हैं। वे भी अब यही बात कहने लगे हैं कि जब तक सभी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन चलता रहेगा। इससे आम लोगाें की मुसीबत बढ़ रही है। आंदोलन के दौरान ही कोरोना की दूसरी लहर का कहर भी बरपा था। अब तीसरी लहर की संभावना बढ़ रही है। मगर आंदोलन खत्म न होने से परेशानी फिर बढ़ती दिख रही है।