Kisan Andolan: 27 सितंबर के भारत बंद काे लेकर किसानों ने कसी कमर, बार्डर पर ऐसे हैंं हालात
किसानों की ओर से 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है। इसी काे लेकर आंदोेलनकारी कमर कस रहे हैं। इस बंद से किस तरह की सेवाओं और चीजों छूट दी जाएगी क्या नारे लगाए जाएंगे और किस तरह से दिन भर की गतिविधियां चलेंगी।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को अब 10 माह पूरे होने जा रहे हैं। 26 नवंबर 2020 से आंदोलन शुरू हुआ था। ऐसे में अब 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है। इसी काे लेकर आंदोेलनकारी कमर कस रहे हैं। इस बंद से किस तरह की सेवाओं और चीजों छूट दी जाएगी, क्या नारे लगाए जाएंगे और किस तरह से दिन भर की गतिविधियां चलेंगी। आंदोलन में किसे मंच पर जगह दी जाएगी और किसे नहीं। इन सब बातों को लेकर रणनीति इस बार पहले ही बनाई जा रही है।
बार्डर पर किसानों की संख्या हुई कम
दरअसल, इस भारत बंद के आह्वान के जरिये आंदोलन को प्रभावी दिखाने की जद्दोजहद चल रही है। अब बार्डरों पर किसानों की संख्या पहले के मुकाबले काफी कम हो चुकी है। आंदाेलन में सक्रिय बहुत से किसान संगठन संयुुक्त किसान मोर्चा की नाै सदस्यीय कमेटी से खफा भी हैं। ऐसे संगठन आंदोलन में तो सक्रिय हैं और किसान हितों को लेकर आवाज भी उठा रहे हैं लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा से उनकी वैचारिक दूरियां कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है। ऐसे माहौल में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहुत इस भारत बंद को कामयाब करने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया जा रहा है।
100 किसान संगठन अन्ना हजारे से मिले
दूसरी तरफ देश भर के लगभग 100 किसान संगठन हाल ही में रालेगण सिद्धि जाकर अन्ना हजारे से भी मिल चुके हैं और उनके नेतृत्व में इस आंदोलन को आगे बढ़ाने की कवायद में जुटे हैं। इसके लिए जमीनी स्तर पर संगठन खड़ा किया जा रहा है। आंदोलन में सक्रिय हरियाणा के किसान नेता प्रदीप धनखड़ का कहना है कि जल्द ही अन्ना हजारे की अगुवाई में देश के किसानों की यह लड़ाई जोर पकड़ेगी। हम किसानों को उनका हक दिलवाने के लिए उतरे हैं तो इस संघर्ष को पूरा करके ही दम लेंगे।