Kisan Andolan: आंदोलनकारियों ने जताई आशंका, भारतीय किसान संघ आंदोलन को पहुंचा सकता है नुकसान, जानिए वजह

आंदोलनकारियों की ओर से इस तरह की संभावना जताई जा रही है कि भारतीय किसान संघ की बढ़ती सक्रियता उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह बीकेएस आरएसएस का घटक है। ऐसे में उसकी मंशा आंदोलन को सही दिशा में ले जाने की नहीं हो सकती।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 08:54 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 08:54 AM (IST)
Kisan Andolan: आंदोलनकारियों ने जताई आशंका, भारतीय किसान संघ आंदोलन को पहुंचा सकता है नुकसान, जानिए वजह
किसान आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकता है भारतीय किसान संघ: आंदोलनकारी।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन से इतर अब भारतीय किसान संघ की सक्रियता को लेकर आंदोलनकारी असहज हो रहे हैं। हाल ही में भारतीय किसान संघ ने जिला उपायुक्तों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है। इसमें संघ की ओर से कृषि कानूनों में संशोधन के साथ ही किसानों के हित में कई अन्य मांगे भी उठाई गई हैं। हालांकि आंदोलनकारियों को संघ की ये मांगे मंजूर नहीं है। वे तो कृषि कानूनों को पूरी तरह रद किए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। वैसे तो संघ से भी पहले आंदोलन में सक्रिय हरियाणा के कई किसान संगठन भी कृषि कानूनों को रद करने की बजाय उनमें संशोधन के पक्षधर हैं, लेकिन आंदोलनकारी इससे इत्तफाक नहीं रख रहे हैं। उन्होंने तो एक तरह से मूछों का ही सवाल बना रखा है कि उनकी जो मांग है वही पूरी होनी चाहिए। उससे कम मंजूर नहीं।

भारतीय किसान संघ आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकता है

अब ताजा मामला यह है कि आंदोलनकारियों की ओर से इस तरह की संभावना जताई जा रही है कि भारतीय किसान संघ की बढ़ती सक्रियता उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकती हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि यह भारतीय किसान संघ आरएसएस का घटक है। ऐसे में उसकी मंशा आंदोलन को सही दिशा में ले जाने की नहीं हो सकती। आंदोलनकारी संभावना जता रहे हैं कि भारतीय किसान संघ द्वारा आंदोलन के बीच अलग से मंच तैयार किए जा सकते हैं और इस तरह से इस आंदोलन को तोड़ने की कोशिश हो सकती हैं। हालांकि संघ ने मंच लगाने को लेकर अभी कोई घोषणा नहीं की है लेकिन पहले से ही आंदोलनकारी ऐसी संभावना जताकर उसके विरोध का ऐलान कर चुके हैं।

शीर्ष नेतृत्व को लेकर उठ रहे हैं सवाल

इधर, हरियाणा के जो किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के शीर्ष नेतृत्व को लेकर कई दिनों से सवाल उठा रहे हैं, वे भी इस मसले पर तो संयुक्त मोर्चा के साथ ही खड़े हैं। किसान नेता जगबीर घसौला, विकल पचार, प्रदीप धनखड़ व डा. शमशेर सिंह ने बयान जारी करके कहा है कि टीकरी बार्डर के आस-पास अगर आरएसएस, भाजपा, जजपा या सत्ताधारी दल का कोई भी सहयोगी घटक मंच लगाने की बात करता है तो हरियाणा संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया है कि उस मंच के विषय में संयुक्त किसान मोर्चा जो भी फैसला लेगा हम उसमें साथ खड़े होंगे, क्योंकि साढे़ नौ महीने से दिल्ली के सभी बार्डरों पर गैर राजनीतिक संगठन ही अपना मंच चला रहे हैं। इसलिए आंदोलन में कोई राजनीतिक मंच नहीं बनने दिया जाएगा।

chat bot
आपका साथी