Kisan Andolan: आंदोलनकारियों की कल छह घंटे तक रेल रोकने की है तैयारी, संभलकर निकलें बाहर

आंदोलन के बीच साेमवार को एक बार फिर रेलवे ट्रैक जाम होगा। आंदोलनकारियों की इस दिन छह घंटों तक ट्रेनों को रोकने की तैयारी है। ऐसे में घर से संभलकर ही निकलें। आंदोलनकारियों द्वारा बार-बार सड़क व रेलमार्ग जाम किए जाने से जनता की परेशानी बढ़ती जा रही है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 09:10 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 09:10 AM (IST)
Kisan Andolan: आंदोलनकारियों की कल छह घंटे तक रेल रोकने की है तैयारी, संभलकर निकलें बाहर
संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 अक्टूबर को छह घंटाें तक रेल रोकने का ऐलान कर रखा है।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच साेमवार को एक बार फिर रेलवे ट्रैक जाम होगा। आंदोलनकारियों की इस दिन छह घंटों तक ट्रेनों को रोकने की तैयारी है। ऐसे में घर से संभलकर ही निकलें। दिल्ली की प्रमुख सीमाएं तो बंद हैं ही, लेकिन इस बीच आंदोलनकारियों द्वारा बार-बार दूसरी जगहों पर सड़क व रेलमार्ग जाम किए जाने से जनता की परेशानी बढ़ती जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 अक्टूबर को छह घंटाें तक रेल रोकने का ऐलान कर रखा है।

जबकि इससे पहले 27 सितंबर को ही भारत बंद का आह्वान किया गया था। इस तरह की गतिविधि को एक माह भी नहीं बीता की अब फिर से रेलवे ट्रैक जाम रहेगा। पहले तो सुबह छह बजे से लेकर शाम के चार बजे तक रेलमार्ग और सड़क मार्गों को जाम रखा गया था। अब 18 अक्टूबर को सुबह 10 से शाम चार बजे तक रेलमार्ग जाम करने का फैसला ले रखा है। दिल्ली के रास्ते बंद हैं, इससे व्यापार और उद्योग का नुकसान हो रहा है। वहीं दिल्ली में रोजमर्रा की आवाजाही में भी आम आदमी परेशान हो रहा है।

बार-बार जाम लगाने से यह परेशानी और बढ़ जाती है। पिछली बार भारत बंद के दौरान जब सड़क व रेलमार्ग जाम हुए तो असंख्य लोग जहां-तहां अपने बच्चों के साथ फंस गए थे। 10 घंटों तक परेशानी झेली। ऐसे में जनता के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि उसे परेशान करके आखिरकार आंदोलनकारियों काे क्या हासिल हो रहा है।

जब इस आंदोलन के कारण देश की राजधानी के प्रमुख बार्डर ही बंद हैं और अकेले बहादुरगढ़ में ही कुल मिलाकर 21 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है तो बार-बार दूसरी जगहों पर सड़क और रेलमार्गों को जाम करने का औचित्य क्या है। लोगों को अब तो यही उम्मीद है कि शीर्ष अदालत द्वारा दिल्ली के रास्ते खुलवाए जाएं तो बात बने।

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