किसान आंदोलन : दुष्कर्म पीडि़ता की पहचान उजागर करने पर योगेंद्र यादव के खिलाफ पुलिस को शिकायत
हिसार के एडवोकेट राजेश जाखड़ ने झज्जर एसपी को पत्र भेज भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए व 202 के तहत मामले में शामिल करने की मांग करते हुए योगेंद्र यादव के खिलाफ मामला दर्ज करने की शिकायत की है।
हिसार, जेएनएन। हिसार के एडवोकेट राजेश जाखड़ ने झज्जर एसपी को शिकायत भेजकर किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए व 202 के तहत मामले में शामिल करने की मांग की है। टीकरी बॉर्डर पर किसान संगठन के टेंट में पश्चिम बंगाल की युवती से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव द्वारा यह स्वीकार करना कि उनको मामले की जानकारी पहले ही थी और ऑनलाइन पत्रकार वार्ता में दुष्कर्म पीडि़ता के पिता का चेहरा दिखाना एक अपराध है। इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किए जाने की मांग को लेकर झज्जर के पुलिस अधीक्षक को शिकायत भेजी है। उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 202 व 228-ए में योगेंद्र यादव को आरोपी बनाने की मांग की है।
पुलिस को दी शिकायत में जाखड़ सोमवार को विभिन्न समाचार पत्रों में टीकरी बॉर्डर पर किसान संगठन के टेंट में युवती से सामूहिक दुष्कर्म के मामले की खबर पढ़ी तो मन बड़ा व्यथित हुआ कि किस तरह कुछ लोग अपने कुकृत्यों से इस अनुशासित किसान आंदोलन को बदनाम कर रहे हैं। इससे भी ज्यादा दुख तब हुआ, जब संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य किसान नेता योगेंद्र यादव ने इंटरनेट मीडिया पर आकर खुद स्वीकार किया कि उनको इस मामले की पहले से जानकारी थी, लेकिन युवती के पिता ने शिकायत नहीं की। यह बयान देकर योगेंद्र यादव स्वयं अपने अपराध की स्वीकारोक्ति कर रहे हैं कि उन्होंने दुष्कर्म के मामले की शिकायत पुलिस को नहीं दी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 202 के तहत अपराध है।
दुष्कर्म का मामला एक संज्ञेय अपराध है और इसकी सूचना मिलने के बाद हर व्यक्ति कानूनी रूप से यह बाध्य है कि वह इस बारे में तुरंत पुलिस को सूचना दें। इसी प्रकार सोमवार की शाम को उन्होंने जूम पर लाइव कान्फ्रेंस कर सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के पिता की शक्ल दिखाकर उनकी पहचान उजागर की है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 228-ए के तहत संज्ञेय अपराध है।
इसलिए 9 मई को शहर बहादुरगढ़ थाना में दर्ज की गई सामूहिक दुष्कर्म की एफआईआर में योगेंद्र यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 202 व 228-ए के तहत नामजद किया जाए। जांच में यह भी पता लगाया जाए कि दुष्कर्म की यह जानकारी किन-किन अन्य लोगों को थी और उन्होंने पुलिस को यह जानकारी नहीं दी।