किसान आंदोलन : कहीं चूल्हा-चौका संभाल रहे हरियाणा के युवा, कहीं बंट रहे लड्डू और फल
आंदोलन को 51 दिन बीत चुके हैं। किसी ने सोचा तक नहीं था कि आंदोलन इतना लंबा चलेगा। हालांकि अभी इसकी अवधि भी तय नहीं कि यह कब तक चलेगा क्याेंकि सरकार के अपने तर्क हैं और किसानों की अपनी मांग। यहां अलग-अलग रंग देखने को मिले हैं
बहादुरगढ़, जेएनएन। किसान आंदोलन के बीच हर 10 कदम पर नए रंग हैं। सेक्टर-9 मोड़ से लेकर टीकरी बॉर्डर तक रोजाना कुछ नया मिलता है। आंदोलन को 51 दिन बीत चुके हैं। शहर वासियों ने सोचा तक नहीं था कि आंदोलन यहां पर इतना लंबा चलेगा। हालांकि अभी इसकी अवधि भी तय नहीं कि यह कब तक चलेगा, क्याेंकि सरकार के अपने तर्क हैं और किसानों की अपनी मांग। किसानों ने इन दिनों के दौरान कई तरह से व्यवस्था को संभाला है। खुले आसमान के नीचे सोने की बात हो चाहे खाना पकाने को लेकर
व्यवस्था करने की बात हो।
यहां हरियाणा के युवा संभाल रहे चूल्हा-चौका
श्यामजी कांप्लेक्स के आसपास हरियाणा की किसान मंडली जमी है। यहां दिल्ली-रोहतक रोड पर इन टेंटों में हरियाणा के युवा चूल्हा-चौका संभाल रहे हैं। ईंटों से चूल्हे को लकड़ी-उपलों से दोनों वक्त जलाते हैं। रोटी-सब्जी बनाते हैं और खाते हैं। गैस चूल्हे की पूछने पर कहते हैं अपणा तै गैस चूल्हा योए सै।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी लग रही ड्यूटी
आंदोलन के बीच रेडक्राॅस की ओर से लगाए गए कैंपों में विशेषज्ञ चिकित्सक भी ड्यूटी दे रहे हैं। हालांकि इससे सिविल अस्पताल की ओपीडी प्रभावित हो रही है, मगर प्रशासन को आंदोलन में हजारों लोगों के स्वास्थ्य की भी चिंता हो रही है।
बंट रहे लड्डू, पिन्नी और फल
आंदोलन के बीच कभी कोई सेब, केले, किन्नू बांटता नजर आता है। कभी पिन्नी, कभी लड्डू तो कभी मुंगफली, चने और दूसरी चीजें। ऐसा नजारा 15 किलोमीटर तक फैले इस आंदोलन में हर रोज कई जगह दिखता है।
कोई पैदल तो कोई साइकिल पर पहुंच रहा
आंदोलन के बीच शुक्रवार को हिसार से दीपक घणघस और विजय पहलवान पैदल पहुंचे। एक दिन पहले पंजाब के पटियाला से कमलजीत सिंह साइकिल और उसकी ट्राली लेकर यहां पहुंचे थे।
बांटी जा रही किताबें
आंदोलन के बीच कई लाइब्रेरी तो खोली गई है। साथ में कही जगह निश्शुल्क स्टॉल लगाई जा रही है। यहां से किसानों को फ्री किताबें वितरित की जा रही हैं। ताकि वे इन्हें पढ़कर समय बिता सकें।