आस्था का केंद्र बना हांसी का काली देवी मंदिर
काली देवी चौक स्थित काली देवी मंदिर में हर रोज पूजा अर्चना के लिए जुटती है भीड़।
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हांसी : काली देवी चौक स्थित काली देवी मंदिर में हर रोज पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। यहां पर रोजाना अखंड जोत जलती रहती है। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है। मंदिर की आस्था है कि जो श्रद्धालु विधि विधान से मां की अर्चना करते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
इतिहास
श्री काली देवी मंदिर हांसी की प्रतिष्ठा कब हुई, इसके बारे में स्थानीय लोगों को बहुत ही कम जानकारी है। किसी मां के भक्त द्वारा मां की इच्छानुसार 300 वर्ष पहले उनको हांसी में लाकर स्थापित किया था। इतिहास इस प्रकार भी है कि किसी अज्ञात नाम के संत द्वारा मनुष्यों का कल्याण करने की इच्छा से महामाया महाकाली, हांसी की रानी के रूप में प्रकट हुई। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यहां पर मिलट्री का एक कैम्प पड़ा था। उसमें बंगाली सिपाही थे। उनकी कालीदेवी की पूजा करने की इच्छा हुई और सबसे पहले उन्हीं लोगों में से मिल्ट्री के एक मेजर ने इस श्मशान भूमि में श्री कालीदेवी मंदिर की स्थापना की और पूजा प्रारंभ कर दी। मंदिर के पुजारी ब्रजभूषण भारद्वाज ने बताया कि मंदिर में काली माता, भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, शनिदेव की मूर्ति स्थापित है। जिनकी श्रद्धालु प्रतिदिन विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर में देश के हर कोने से लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते है। इसके साथ-साथ देश के कई लोग जो बाहर रहते है वो भी यहां पर पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। नवरात्रि के उपलक्ष्य पर भंडारे व मेले का आयोजन किया जाता है।