Tokyo Paralympic में अपना दमखम दिखाएंगे झज्जर के राहुल जाखड़, वीरवार को है पहला मैच
झज्जर के राहुल जाखड़ टोक्यो पैरालिंपिक में अपना दमखम दिखाएंगे। वीरवार को मुकाबला है उसके लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं। वीरवार को राहुल पहला मुकाबला खेलेंगे। फाइनल तक पहुंचने के लिए दो मुकाबले जीतने होंगे और अंतिम मुकाबला ही जीत को सुनिश्चित करेगा।
जागरण संवाददाता, झज्जर। अब तक के परिश्रम के बलबूते वीरवार को गांव अकेहड़ी मदनपुर निवासी शूटिंग खिलाड़ी राहुल जाखड़ अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए निशाना साधेंगे। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए अपनी प्रतिभा को निखारा है। राहुल जाखड़ बताते हैं कि वे टोक्यो के लिए 23 अगस्त को ही टीम के साथ रवाना हो गए थे। इसके बाद वे टोक्यो में ही है, वहां पर उन्होंने अपनी शूटिंग का भी अभ्यास किया है। टोक्यो का अच्छा अनुभव रहा। वीरवार को मुकाबला है, उसके लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं। वीरवार को तीन मुकाबले होने हैं, तीनों में जीत के बाद ही देश को मेडल दिला पाएंगे। पहले फाइनल तक पहुंचने के लिए दो मुकाबले जीतने होंगे और अंतिम मुकाबला ही जीत को सुनिश्चित करेगा। राहुल बताते हैं कि परिवार वालों ने उनका हौंसला बढ़ाया। जब भी बात होती है तो परिवार वाले उसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं । वे वीरवार को अपना सबसे बेस्ट प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे। ताकि देश के लिए मेडल ला सके।
पांच साल से कर रहे हैं अभ्यास
गांव अकेहड़ी मदनपुर निवासी राहुल जाखड़ के भाई राजेश जाखड़ ने बताया कि राहुल ने करीब चार-पांच साल पहले शूटिंग का अभ्यास करना आरंभ किया था। इसके बाद वे अच्छा प्रदर्शन करते गए और अभी तक कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं। राहुल को काबिलियत के बल पर विश्व में दूसरी रैंक भी मिली है। फिलहाल राहुल टोक्यो पैरालिंपिक के पी-3 मिक्सड 25 मीटर पिस्टल एसएच-1 प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहे हैं। धार्मिक स्वभाव के होने के चलते टोक्यो पहुंचने के बाद भी उन्होंने बाबा खूबी दास व कबीर दास महाराज को नमन किया। इसके बाद जब भी राहुल से बात होती है तो यही कहते हैं कि पूरे मन लगाकर हिम्मत के साथ बेहतर प्रदर्शन करना। ताकि मेडल पर निशाना लगाकर देश का नाम रोशन करें।
पांच साल की उम्र में हुआ था पोलियो
राजेश ने बताया कि राहुल जब पांच साल का था तो वह पोलियो ग्रस्त हो गया था। जिसके कारण उसके एक पांव में दिक्कत है। इसके बाद भी राहुल ने कभी हार नहीं मानी। अपनी पढ़ाई करता रहा। राहुल ड्राइंग में अच्छा था, जिसके चलते प्राइवेट स्कूल में ड्राइंग टीचर भी बना। इसके बाद परिवार के साथ अपनी गुरुग्राम स्थित कंपनी में काम किया। करीब पांच साल पहले पड़ोसी युवक के साथ शूटिंग करना आरंभ किया था। शूटिंग की तरफ बढ़े राहुल के रुझान को देखकर परिवार वालों ने भी उसका पूरा सहयोग किया। इसके बाद राहुल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राहुल ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेलों में अनेक मेडल अपने नाम किए। अब पैरालिंपिक में अपना निशाना लगाएगा।