Jhajjar News: कभी आर्थिक तंगी से छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई, संभाली परिवार की बागडोर, पढ़िए संघर्ष की ये कहानी
गांव खेड़ी जट्ट निवासी आशा ने बताया कि उनका परिवार बीपीएल की श्रेणी में हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पढ़ाई में काफी दिक्कत हुई। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बीबीए में दाखिला लिया।
जागरण संवाददाता,झज्जर। कभी खुद आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। लेकिन, अब छोटे भाई-बहन को पढ़ाई व अन्य काम में परिवार की आर्थिक स्थिति बाधा ना बने। इसके लिए गांव खेड़ी जट्ट निवासी आशा ने खुद काम करने की ठानी। परिवार का भी पूरा सहयोग मिला और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए। स्नातक (बीए) की पढ़ाई करने के लिए अब बादली में खुद सीएससी सेंटर चलाती है। आगे भी उनका लक्ष्य सफल होकर खुद का काम शुरू करना है। ताकि वे परिवार को मजबूती दे सकें और दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हुए रोजगार के अवसर पैदा करने में भी सफल कदम उठाएं।
परिवार की आर्थिक स्थिति में आया सुधार
गांव खेड़ी जट्ट निवासी आशा ने बताया कि उनका परिवार बीपीएल की श्रेणी में हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पढ़ाई में काफी दिक्कत हुई। 12वीं की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बीबीए में दाखिला लिया। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बीबीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। हालांकि बाद में उन्होंने बीए की पढ़ाई पूर्ण की। उनका कंप्यूटर सीखने के प्रति शुरूआत से ही रुझान था। उनके पिता आनलाइन कंप्यूटर सेंटर चलाते थे। इसलिए एक कंप्यूटर घर पर ही रहता था। जिसके कारण उन्होंने घर पर ही कंप्यूटर सीखा। इसके बाद वे समाज सेवी संस्था डेवलपमेंट अल्टरनेटिव एवं हुमाना पीपुल टू पीपल इंडिया एवं सहयोगी कंपनी डीबी शंकर के सहयोग से चल रहे वी-लीड प्रोग्राम से जुड़ी। जिसके तहत उन्होंने प्रशिक्षण लिया। साथ ही आशा को खुद का काम करने के लिए प्रेरित भी किया। प्रशिक्षण के बाद वे बादली स्थित सीएससी सेंटर चला रही हैं। आशा ने बताया कि उन्होंने 10 जनवरी 2021 को काम शुरू किया था। जिससे कमाई भी होने लगी। जिसकी बदौलत परिवार की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार आया है।
आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी
आशा ने बताया कि वे चार बहन-भाई हैं। वे सबसे बड़ी हैं। इसलिए उन्होंने खुद परिवार की स्थिति को समझा और काम करने की ठानी। उनसे छोटी बहन कोमल 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं। वहीं उससे छोटा भाई सचिन मानसिक रूप से ठीक नहीं हैं। सबसे छोटा भाई तुषार 8वीं कक्षा में पढ़ता है। अब उन्होंने ठान लिया है कि जिस आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी वह उसके भाई-बहन को ना सहन करनी पड़े। उसके भाई-बहन जो भी पढ़ाई करना चाहेंगे, वह पढ़ाई बिना बाधा करवाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।
लोगों को मिला पूरा सहयोग
आशा ने बताया कि काम शुरू करने के बाद लोगों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। खासकर महिलाएं व लड़कियां अपने कार्य को करवाने के लिए सबसे पहले प्राथमिकता देते हैं। हालांकि अन्य सीएससी सेंटर को पुरुष चलाते हैं, इसलिए महिलाएं दूसरे सीएससी सेंटर पर जाने कि बजाए उसके पास काम करवाना ही अधिक पसंद करती है। इसका भी उन्हें फायदा मिल रहा है।