Jhajjar News: छोटी छोटी बचत से तय होगा आर्थिक आजादी का रास्ता, इस संस्था से जुड़ने वाली महिलाओं का जीवन सुधरा
महिलाओं को भी आर्थिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए क्योंकि यह उनके भीतर आत्मविश्वास और स्वाभिमान का भाव जगाएगा। जाहिर है महिला सशक्तीकरण के लिए इस तरह के आर्थिक भेदभावों को खत्म करना होगा। समाज में महिलाओं की पेशेवर भूमिका का सम्मान होना चाहिए।
अमित पोपली, झज्जर : घर, परिवार हो या कारोबार, हर जगह पर महिलाओं के बगैर बेहतर व्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन, अपने स्तर पर दिए जाने वाले हर अह्म योगदान के बाद भी महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी का रास्ता मजबूत नहीं हो पाया है। आज भी पति, बेटा, भाई या पिता, उनके लिए फैसले लेते हैं। यह सामूहिक स्तर पर होने वाले फैसले नहीं। बल्कि, थोंपे गए फैसले ज्यादा होते हैं।
दरअसल, फाइनेंशियल इन्कलयूजन फार वीमेन संस्था की संस्थापक हेमा गुप्ता पिछले कई सालों से महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी का रास्ता बुलंद कर रही हैं। मूल रुप से दिल्ली निवासी हेमा गुप्ता की संस्था से हरियाणा के विभिन्न हिस्सों की महिलाएं जुड़ी हैं, जिन्हें उन्होंने कोविड काल के दौरान आनलाइन परामर्श दिया है। अभी तक वे करीब 900 महिलाओं को फाइनेंस से जुड़े विषयों में परामर्श देते हुए कारोबार से जोड़ चुकी है। हेमा की सोच है कि बिजनेस से जुड़े फैसलों में महिलाओं का दखल बढ़ने से ही समाज का सर्वांगीण विकास हो सकता है।
नोटबंदी के बाद से सूझा आइडिया, जुड़ती गई कड़ियां
हेमा गुप्ता बताती है कि नोटबंदी के बाद जब महिलाओं की जमा पूंजी सामने आईं तो यह समझ आया कि अगर इन्हें समय रहते हुए किसी भी तरह से निवेश कर दिया गया होता तो इनकी जमा पूंजी भी ज्यादा होती और किसी भी तरह की परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता। बस, इसी सोच को केंद्र में रखते हुए आइडिया आया कि महिलाओं की आर्थिक आजादी के उन्हें हर स्तर पर जागरूक किया जाए। ताकि, वे घर में होने वाली अपनी छोटी-छोटी बचत से अपनी आर्थिक आजादी का रास्ता तय कर पाए।
अब शुरु किया अपना कारोबार, बदली जीवनशैली
संस्था से वित्तीय परामर्श लेकर अपने जीवन को मुख्यधारा में ला चुकी बेरी निवासी उर्मिला शर्मा के मुताबिक उन्होंने पिछले दो साल में छोटी-छोटी बचत को घर में नहीं रखकर, बैंक या अन्य उपक्रमों में रखा। जिससे एकाएक खर्च होने की प्रवृति पर भी रोक लगी। दूसरा, एक उचित ब्याज भी मिला। दो साल में जमा हुई पूंजी से अब उन्होंने घर पर ही अपना कार्य शुरु कर लिया है। जिन महिलाओं के लिए कार्य कर रही हैं, वे भी अग्रिम भुगतान कर देती हैं। कुल मिलाकर, जीवन के स्तर में काफी सकारात्मक बदलाव आ गया है।
हेमा गुप्ता के अनुसार
महिलाओं को भी आर्थिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, क्योंकि यह उनके भीतर आत्मविश्वास और स्वाभिमान का भाव जगाएगा। जाहिर है महिला सशक्तीकरण के लिए इस तरह के आर्थिक भेदभावों को खत्म करना होगा। समाज में महिलाओं की पेशेवर भूमिका का सम्मान होना चाहिए। अपने परिवार की वित्तीय जिम्मेदारी को बांटने में उनकी भूमिका अहम है।