Jhajjar News: सरकार के पत्र पर असमंजस में स्कूल संचालक, परीक्षा लिए जाने के फैसले पर उठाया सवाल

झज्जर में शैक्षणिक संस्थाओं की ओर से आवाज उठाते हुए सहोदय के प्रधान रमेश रोहिल्ला ने सरकार के फैसले को स्वार्थपूर्ण करार देते हुए कहा कि स्कूलों को प्रयोगशाला ना बनाया जाए। क्योंकि इन दिनों पहले से ही अभिभावक हो या बच्चें सभी गहरे तनाव में है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 02:45 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 02:45 PM (IST)
Jhajjar News: सरकार के पत्र पर असमंजस में स्कूल संचालक, परीक्षा लिए जाने के फैसले पर उठाया सवाल
झज्जर में सरकार के परीक्षा लिए जाने के फैसले से नाराज स्कूल संचालक।

जागरण संवाददाता, झज्जर। सहोदय के प्रधान रमेश रोहिल्ला ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि प्रदेश की सरकार जब भिवानी बोर्ड के अलावा अन्य किसी भी बोर्ड से जुड़ी संस्था को ना तो कोई सुविधा प्रदान कर रही हैं और ना ही उन्हें किसी मंच पर सम्मानित करती है। ऐसे में भिवानी बोर्ड के लिए जारी होने वाले आदेशों की बाध्यता दूसरे बोर्डों पर क्यों थोपी जा रही हैं। ऐसा करना उचित नहीं है। संस्था का प्रधान होने के नाते रोहिल्ला ने सरकार के इस फैसले को स्वार्थपूर्ण करार देते हुए कहा कि स्कूलों को प्रयोगशाला नहीं बनाया जाए। क्योंकि, इन दिनों पहले से ही अभिभावक हो या बच्चें, सभी गहरे तनाव में है। इन परिस्थितियों में 13 सितंबर को सरकार ने आदेश जारी करते हुए आठवीं कक्षा की परीक्षाएं लिए जाने का जो फरमान सुनाया है। वह न्यायोचित्त नहीं हैं।

अधिकारी नये नये फरमान जारी कर बच्चों को विचलित कर रहे हैं

शैक्षणिक संस्थाओं की ओर से आवाज उठाते हुए रोहिल्ला ने कहा कि हरियाणा सरकार के आला अधिकारी नए-नए फरमान जारी कर बच्चों को विचलित कर देने जैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं। क्योंकि, पत्र में लिखा है कि हरियाणा प्रांत में चल रहे सभी विद्यालय सीबीएसई,आईसीएसई या किसी भी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हों, उनको भी हरियाणा बोर्ड की आठवीं की परीक्षा देनी होगी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यहां तक कि प्रदेश में जिला स्तर पर केवल हरियाणा बोर्ड में पढ़ रहे विद्यार्थियों को ही सम्मानित किया जाता है। हां, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो ना हो, इस फरमान से एकत्रित होने वाले परीक्षा शुल्क से हरियाणा बोर्ड की काया पलट हो सकती है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए सहोदय प्रधान ने कहा कि अब बच्चों को पढ़ाने दो। बार बार अलग-अलग प्रयोगशाला नहीं बनाओ। स्कूली शिक्षा को बचाओ।

इस तरह के आदेश स्वार्थपूर्ण

सबका साथ सबका विकास के नारे को नहीं भूलना चाहिए। केवल अधिकारियों से ही सरकार नहीं बना करती, अध्यापकों का भी सहयोग अवश्य रहता है। प्रधान होने के नाते इस फैसले का विरोध करता हूंं। इस तरह के आदेश, सलाह स्वार्थपूर्ण दिखाई देते हैं।

chat bot
आपका साथी