भगवान शिव के ऐसे भक्‍त, शिवरात्रि पर 5 हजार लीटर गंगाजल से करेंगे जलाभिषेक

कांवड़ लाने पर भी इस बार प्रतिबंध है मगर शिव भक्‍तों के मन में भगवान की भक्ति का खुमार छाया हुआ है। भिवानी में भगवान शिव का पांच हजार लीटर गंगाजल से जलाभिषेक किया जाएगा।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 09:03 AM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 09:03 AM (IST)
भगवान शिव के ऐसे भक्‍त, शिवरात्रि पर 5 हजार लीटर गंगाजल से करेंगे जलाभिषेक
भगवान शिव के ऐसे भक्‍त, शिवरात्रि पर 5 हजार लीटर गंगाजल से करेंगे जलाभिषेक

भिवानी, जेएनएन। शिवरात्री पर शिवभक्‍त अलग अलग तरीके से पूजा अर्चना करते हैं। इस बार भीड़ तो जमा नहीं हो सकेगी लेकिन पूजा पाठ इस बार भी विधि विधान से होगा। कांवड़ लाने पर भी इस बार प्रतिबंध है मगर शिव भक्‍तों के मन में भगवान की भक्ति का खुमार छाया हुआ है। यही वजह है कि भिवानी में भगवान शिव का पांच हजार लीटर गंगाजल से जलाभिषेक किया जाएगा।

वैश्विक बीमारी को देखते हुए स्थानीय हालुवास गेट स्थित सिद्धपीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में पीठाधीश्वर महंत अशोक गिरी द्वारा 5 हजार लीटर गंगाजल लाया गया है। उन्होंने बताया कि वैश्विक बीमारी के चलते भोले शंकर के पुजारी इस बार कांवड़ नहीं ला सके। इस कारण लोगों के लिए 5 हजार लीटर गंगाजल मंगवाया गया है। सभी भक्तजन शिव रात्रि पर आश्रम में आकर गंगाजल चढ़ा सकते हैं।

महंत अशोक गिरी ने बताया कि भारत में सदियों से लोगों के मन में गंगाजल के प्रति आस्था बरकरार है। सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है, इसलिए भक्त अपने घर को पवित्र रखने के लिए गंगाजल अपने घर में रखते हैं। गंगा का जल मोक्ष प्रदान करने वाला है और पूजा-अर्चना, शुद्धिकरण, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है। बिना गंगाजल के कोई धार्मिक अनुष्ठान पवित्र नहीं माना जाता है।

सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है, इसलिए भक्त अपने घर को पवित्र रखने के लिए गंगाजल अपने घर में रखते हैं। गंगा का जल मोक्ष प्रदान करने वाला है और पूजा-अर्चना, शुद्धिकरण, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है। गंगा का जल मोक्ष प्रदान करने वाला है और पूजा-अर्चना, शुद्धिकरण, अभिषेक और कई धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है। बिना गंगाजल के कोई धार्मिक अनुष्ठान पवित्र नहीं माना जाता है। इस मौके पर बाबा कैलाश गिरी, भगवान गिरी, दशरथ गिरी, कामाख्या गिरी, शिव गिरी, प्रताप सरपंच, राहुल, शिवजी,  रवि, विशाल, आनंद, दीपक, सुरेश सैनी उपस्थित थे।

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