कोरोना मरीज की मौत के मामले में जांच नहीं पूरी
वहीं सिविल अस्पताल प्रशासन ने मंगलवार को फिर से सीएम विडो की शिकायत की जांच करने के लिए मीटिग बुलाई। इस बार घटना वाले दिन आइसोलेशन वार्ड में तैनात डाक्टर नर्स सहित मामले से जुड़े तमाम कर्मचारियों को तलब किया गया। करीब तीन घंटे तक स्टाफ सदस्यों के बयान दर्ज किए गए।
संवाद सहयोगी, हांसी : समय पर मिला न्याय पीड़ित के दर्द पर मरहम का काम करता है, लेकिन इसमें देरी हो तो पीड़ित का सरकारी सिस्टम से भरोसा उठने लगता है। हांसी सिविल अस्पताल में कोरोना मरीज की इलाज ना मिलने के कारण हुई मौत के मामले में करीब दो महीने बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। सरकारी डाक्टरों की लापरवाही के कारण पिता को खोने वाला बेटा न्याय के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है।
वहीं, सिविल अस्पताल प्रशासन ने मंगलवार को फिर से सीएम विडो की शिकायत की जांच करने के लिए मीटिग बुलाई। इस बार घटना वाले दिन आइसोलेशन वार्ड में तैनात डाक्टर, नर्स सहित मामले से जुड़े तमाम कर्मचारियों को तलब किया गया। करीब तीन घंटे तक स्टाफ सदस्यों के बयान दर्ज किए गए। तीन बजे के बाद भी कुछ सदस्यों के बयान पूरे नहीं हो पाए तो अब अगले हफ्ते फिर जांच के लिए मीटिग बुलाई जाएगी।
मंगलवार को मीटिग में डा. पल्लवी, डा. मीनू, डा. ज्योति कपूर, डा. रशीद, डा. संदीप बूरा, कविता नर्सिग सिस्टर, हेलसन स्टाफ नर्स, सुशील मोर एसटीएस, सुमन सुपरवाइजर, अनिल कुमार एलटी को उपस्थित होने के आदेश दिए गए थे।
स्वास्थ्य विभाग की ढुलमुल चल रही जांच से पीड़ित असंतुष्ट है। इससे पूर्व अस्पताल प्रशासन ने घटना वाले दिन आइसोलेशन वार्ड में तैनात सुरक्षा गार्ड को हटा दिया था, जिसके बाद सुरक्षा कर्मी ने लेबर कोर्ट में जाने का दावा किया है। सवाल ये उठता है कि आखिर डेढ़ महीने बाद भी सिविल अस्पताल प्रशासन ये तय नहीं कर पाया है कि लापरवाही किस स्तर पर बरती गई है।
तमाम सुविधाओं के बावजूद लापरवाही
हांसी सिविल अस्पताल में एसएमओ द्वारा कोरोना वायरस को लेकर जारी तमाम तरह के प्रबंध अस्पताल में कर रखे हैं। आइसोलेशन वार्ड से लेकर सैंपलिग के अलग से इंतजाम हैं। इसके बावजूद निचले स्तर पर डाक्टरों की लापरवाही के कारण कोरोना मरीज की मौत हो गई। माना जा रहा है कि निचले स्तर पर लापरवाही के कारण ये घटना हुई और आइसोलेशन वार्ड की इंचार्ज डाक्टर पर मामले में गाज गिर सकती है।