किसान आंदोलन के बीच कई अपराधों को जन्म दे रहा है शराब का नशा, नहीं मान रहे आंदोलनकारी

किसान आंदोलन दुष्कर्म हत्या और लूट जैसी घटनाएं हो चुकी हैं। इसके पीछे नशा भी बड़ा कारण रहा है। शराब के नशे में युवक को जलाने की घटना और भी सवाल खड़े कर रही है। जबकि आंदोलनकारी मान नहीं रहे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 09:03 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:03 AM (IST)
किसान आंदोलन के बीच कई अपराधों को जन्म दे रहा है शराब का नशा, नहीं मान रहे आंदोलनकारी
किसान आंदोलन में नशे के कारण कई आपराधिक घटनाएं हो चुकी हैं

बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर करीब सात माह से जारी आंदोलन में शराब का नशा कई अपराधों को जन्म दे रहा है। इसको लेकर आंदोलन के मंच से अनेकों बार अपील भी की जा चुकी है कि कोई नशा न करे। मगर इसका असर नहीं हो रहा है। खुद आंदोलन में शामिल नेता यह स्वीकार रहे हैं कि काफी संख्या में आंदोलनकारी रात के समय शराब का सेवन करते हैं। इसी नशे के कारण कई तरह के अपराध भी हो रहे हैं।

पिछले दिनों आंदोलन स्थल पर गए कसार गांव के युवक को तेल डालकर जिंदा जलाकर मार देने के मामले में भी यह सामने आया था कि वारदात से पहले शराब पीयी गई और पिलाई गई। जबकि इससे पहले पंजाब के किसान हाकम सिंह की हत्या भी शराब पीने के बाद की गई थी। वहीं पंजाब के एक अन्य किसान की तो हत्या ही शराब के पैसों को लेकर हुई थी। अब हालात यह हैं कि शाम होते ही काफी तंबुओं में यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वहां पर शराब का सेवन किस हद तक हो रहा है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि सिर्फ शराब का नशा ही नहीं बल्कि और भी कई तरह के नशे आंदोलन में किए जा रहे हैं। पिछले दिनों रेलवे स्टेशन पर पंजाब के युवक की मौत हो गई थी। वह ज्यादा नशे में था। आंदोलन से गांव लौट रहा था, लेकिन स्टेशन पर ही गिर पड़ा। बाद में जांच के दौरान पुलिस ने साफ किया था कि उसने ज्यादा नशा कर रखा था। कुछ दिन पहले दो युवकों को आंदोलन स्थल के बीच काबू किया गया था, जो नशे में थे और जेब तराशी कर रहे थे। तब आंदोलन के मंच से यह बात उठी थी कि आंदोलन स्थल पर खूब नशा बिक रहा है। इस पर शासन-प्रशासन को रोक लगानी चाहिए।

इतना ही नहीं टीकरी बार्डर और नया गांव चौक के मंच पर भी अनेक वक्ता यह अपील कर चुके हैं कि कोई भी आंदोलनकारी शराब का सेवन न करे, क्योंकि यहां पर संघर्ष करने आए हैं न कि शराब का नशा करने। मगर इन सब बातों का असर नहीं हो रहा है। अब जो हालात हैं उसमें तो खुद आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेताओं के वश की बात नजर नहीं आ रही है। आंदोलन में टीकरी बार्डर पर डटे किसान नेता प्रदीप धनखड़ का कहना है कि आंदोलन स्थल पर शराब का सेवन रोकने के लिए अभियान चलाया जाएगा। आंदोलन के मंच से भी आह्वान किया जाएगा।

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