International Day Against Drug Abuse: प्रयासों की कमी से नशे की दलदल में फंसता हरियाणा का युवा

आज विश्व नशा निरोधक दिवस है। हरियाणा के फतेहाबाद के हालात हैरान करने वाले हैं। यहां एकमात्र नशामुक्ति केंद्र भी एक साल से बंद पड़ा है। जिला प्रशासन ने आठ महीने तक कागजों में अभियान चलाया। मगर नतीजा शून्य।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 06:01 AM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 08:24 AM (IST)
International Day Against Drug Abuse: प्रयासों की कमी से नशे की दलदल में फंसता हरियाणा का युवा
अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं। मरीजों को केवल दवाइयां दी जा रहीं हैं।

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। आज हम विश्व नशा निरोधक दिवस मना रहे हैं। हर जगह रैली का आयोजन होगा और अधिकारी पांच मिनट का भाषण देकर वाहवाही लूट लेंगे। लेकिन धरातल पर नजर दौड़ाएंगे तो हरियाणा के फतेहाबाद जिले का एक भी ऐसा गांव नहीं बचा है, जहां युवा इस नशे के दलदल में नहीं फंसे हैं।

इस साल का जिक्र करें तो पिछले दो महीने में गांव भिरडाना में चार युवाओं की मौत नशे की ओवरडोज लेने से मौत हो चुकी है। जिला प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं किया तो यहां के युवाओं ने खुद कमान संभाली है और एक महीने तक लगातार अभियान चलाएंगे। हरियाणा सरकार ने पिछले साल कुछ ऐसे जिले का जिक्र किया था जहां नशे से प्रभावित अधिक लोग थे। इन जिलों में फतेहाबाद का नाम भी शामिल था। ऐसे में जिला प्रशासन ने पिछले साल 15 अगस्त को अभियान की शुरूआत की। इस अभियान में जिला समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग व पुलिस विभाग को लिया गया। 

समय के साथ फाइलों में अटका अभियान

31 मार्च 2021 तक अधिकारियों को टारगेट दिया गया कि वो जिले के सबसे अधिक प्रभावित गांवों का दौर कर वहां पर जागरूकता कैंप लगाएं। अभियान शुरू हुआ तो धरातल पर गतिविधियां नजर आईं, लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया यह अभियान धरातल से उतरकर फाइलों में अटक गया। फाइलों में कार्यक्रम के बिल तो बन गए है लेकिन धरातल पर काम कुछ नहीं हुआ। इसी साल 31 मार्च को इस अभियान को बंद भी कर दिया गया। इस अभियान का एक प्रतिशत भी असर देखने को नहीं मिला। इस अभियान से प्रभावित होकर एक भी युवाओं ने नशा तक नहीं छोड़ा। 

फतेहाबाद में नशा मुक्त केंद्र दो साल से बंद 

कोरोना संकट के कारण जिले में 30 बेड का चल रहा नशामुक्ति केंद्र को बंद करना पड़ा। यहां पर कोरोना आईसीयू वार्ड बना दिया। ऐसे में नशा छोड़ने वाले मरीजों को केवल दवाइंया ही दी जा रही थीं। भर्ती करने के लिए ना तो बेड थे और न ही जगह। ऐसे में मरीजों को परेशानी हो रही है। ऐसा नहीं कि स्वास्थ्य विभाग ने प्रयास नहीं किए, लेकिन जगह के अभाव के कारण ऐसा नहीं हो सका। कोरोना की दूसरी लहर में तो मरीजों को बेड तक नहीं मिले। अब स्थित सुधर रही है ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले समय में यह नशामुक्ति केंद्र भी शुरू हो जाएगा। 

आउटडोर से इंडोर हो रहा इलाज

जिले में अगर नशे से ग्रस्त क्षेत्र का जिक्र करे तो रतिया क्षेत्र है। ऐसे में जिला प्रशासन ने नागरिक अस्पताल में दो दिन की ओपीडी भी कर दी है। लेकिन नशा छोड़ने के लिए यह ओपीडी उपयुक्त नहीं है। अब फतेहाबाद से डाक्टर जा रहे है। लेकिन आने वाले समय में रतिया में नशा मुक्ति केंद्र शुरू हो रहा है। ऐसे में यहां पर इंडोर इलाज शुरू हो जाएगा। रतिया में 8 बेड का अलग से कमरा बनाया जा रहा है जहां नशा छोड़ने वाले मरीजों का इलाज होगा। लेकिन सोमवार व मंगलवार को यहां पर डाक्टर जाते है।  

नशा मुक्ति अभियान में इन विभागों को ये दी गई थी जिम्मेदारी 

समाज कल्याण विभाग 

समाज कल्याण विभाग जहां नशे से ग्रस्त अधिक लोग है। अब यहां पर हर दिन नशामुक्ति जागरूकता कैंप लगाएगा। जिसमें ग्रामीणों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन कैंपों में डाक्टरों की टीम भी रहेगी। लेकिन जिले में कम ही कैंप लगे।  

स्वास्थ्य विभाग

स्वास्थ्य विभाग रतिया व फतेहाबाद में फिर से नशामुक्ति केंद्र खोलने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ऐसी आई कि सभी नियम दरे के दरे रह गए। हालांकि डाक्टर ऐसे मरीजों को दवाइयां तो दे रहे लेकिन यह उपयुक्त नहीं है।  

पुलिस विभाग

पुलिस विभाग का काम भी लोगों को जागरूक करने के साथ ही नशा तस्करों को पकड़ने का होगा। जिस पर पुलिस ने काम भी शुरू कर दिया है। जिले में कोरोना के बाद नशे की गोलियों का कारोबार बढ़ गया है। ऐसे में अब नशे की गोलियां सप्लाई करने वालों को पुलिस पकड़ रही है जो आंकड़ों में नजर भी आ रहा है। इसके अलावा बड़े नशा तस्करों को भी पकड़ा है।  

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