उत्तर प्रदेश से दूसरे राज्यों में ग्लैंडर्स फैलने का बढ़ा खतरा, हिसार NRCE की रिपोर्ट में आया सामने

उत्तर प्रदेश में ग्लैंडर्स 50 से अधिक जिलों में है। 2019 में देशभर में 210 ग्लैंडर्स संक्रमित पशुओं में से उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 40 जिलों से 135 पॉजिटिव केस मिले थे। ग्लैंडर्स बीमारी इतनी खतरनाक है कि यह जानवारों से शुरू होती है तो इंसानों तक पहुंच जाती है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 09:24 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:36 AM (IST)
उत्तर प्रदेश से दूसरे राज्यों में ग्लैंडर्स फैलने का बढ़ा खतरा, हिसार NRCE की रिपोर्ट में आया सामने
ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है, जो इंसानों में भी फैल जाता है

हिसार [वैभव शर्मा]। देश के अन्य राज्यों की तुलना में ग्लैंडर्स जैसी खतरनाक संक्रामक बीमारी से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खतरा बरकरार है। अब यह संक्रमण दूसरे राज्यों के लिए भी खतरा बना हुआ है। इसकी चिंता इसलिए भी हैं क्योंकि वर्ष 2020 कोरोना काल होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में 11 हजार से अधिक सैंपल हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में पहुंचे, जिसमें से 76 सैंपल पॉजिटिव मिले। उत्तर प्रदेश के 28 जिलों में यह मामले मिले हैं। इसके साथ ही यूपी से बाहर के पशुपालक जब घोड़ी, खच्चरों को लेकर दूसरे राज्यों में गए तो वहां पर भी अन्य पशु संक्रमित हो गए। जिसका ताजा उदाहरण हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी में मिले संक्रमित पशुओं से पुष्ट भी हो गया।

विज्ञानी बताते हैं कि पिछल चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में ग्लैंडर्स इतना बढ़ा है कि 50 से अधिक जिलों में पैर पसार चुका है। 2019 में देशभर में 210 ग्लैंडर्स संक्रमित पशु मिले थे, जिसमें से उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 40 जिलों से 135 पॉजिटिव केस मिले थे। वरिष्ठ विज्ञानी डा. हरिशंकर सिंघा ने बताया कि ग्लैंडर्स बीमारी इतनी खतरनाक है कि यह जानवारों से शुरू होती है तो इंसानों तक पहुंच जाती है। जिस स्थान पर यह बीमारी मिल जाती है उस स्थान को तीन महीने के लिये सर्विलांस पर रखना होता है, इसके साथ ही पांच किलोमीटर क्षेत्र में जानवरों व इंसानों के खून की जांच भी होती है।

2020 में उत्तर प्रदेश में ग्लैंडर्स की यह रही स्थिति

कुल सैंपल जांच के लिए आए- 11,704

ग्लैंडर्स संक्रमित मिले- 76

कितने जिलों में मिले संक्रमित पशु- 28

कौन से जिले सबसे अधिक प्रभावित- लखीमपुर खीरी, वारणसी, आगरा, भदोही, फतेहपुर, श्रावस्ती

नोट- कोरोना काल के कारण सैंपल साइज छोटा है।

2019 में उत्तर प्रदेश में मिले ग्लैंडर्स संक्रमितों का अांकड़ा

कुल सैंपल जांच के लिए आए- 30,000

कुल संक्रमित केस - 135

कितने जिलों में मिले संक्रमित पशु- 40

कौन से जिले सबसे अधिक प्रभावित

आगरा, वराणसी, प्रयागराज, बरेली, लखीमपुर खीरी, मुज्जफरनगर, फिरोजाबाद, गाेंडा, मिर्जापुर, हरदोई, मथुरा, गोरखपुर, बागपत, भदोही, फतेहपुर, गाजीपुर, महाराजगंज, बाराबंकी, मुरादाबाद, कासगंज, उन्नाव, गौतमबुद्ध नगर, बहराइच, कौशाम्बी, सिद्धार्थनगर, शामली, जालौन, सुल्तानपुर, हाथरस, बिजनौर, गाजियाबाद, सहारनपुर, जौनपुर, आजमगढ़, इटावा, मेरठ, बस्ती आदि।

ग्लैंडर्स बीमारी व लोगों पर प्रभाव

ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। इसमें घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशु में भी पहुंच सकती है। यह बीमारी होने पर घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है। घोड़ों से मनुष्यों में यह बीमारी आसानी से पहुंच जाती है। जिससे मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकड़न, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है।

ग्लैंडर्स नोटिफाई होने के बाद क्या होगा

ग्लैंडर्स नोटिफाई जिला घोषित होने के बाद पशुपालन विभाग पशु चिकित्सकों की टीम बनाकर वहां तीन महीने तक जानवरों के खून के सैंपल लेगा। तीनों महीने टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई तभी ग्लैंडर्स नोटिफाई जिला का टैग हटेगा। इसके साथ ही घोड़ों की आवाजारी व पशु मेला लगाने पर रोक रहेगी।

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'' ग्लैंडर्स को लेकर राज्यों को सचेत होने की आवश्यकता है। अपने यहां पशु पालन विभाग की मदद से पशुपालकों को जागरुक करें। उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में ग्लैंडर्स के मामले काफी बढ़े हैं, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

                                                                            - डा. यशपाल, निदेशक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र।

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