लॉकडाउन में देश विदेश में अपने गानों से धूम मचा रहा खासा आला चाहर
सुनील सेन अग्रोहा (हिसार) कहते हैं कि यदि लगन सच्ची हो और निश्चय दृढ़ हो तो कोई भी मंजि
सुनील सेन, अग्रोहा (हिसार) : कहते हैं कि यदि लगन सच्ची हो और निश्चय दृढ़ हो तो कोई भी मंजिल आसानी से पाई जा सकती है। दो साल के छोटे से कार्यकाल में एक बहुत ही छोटे से गांव और साधारण परिवार से निकले एक युवा ने देश-विदेश में अपनी धूम मचा रखी है। खासा आले चाहर के नाम से फेमस अभिषेक चाहर ने अपनी पहचान न केवल हरियाणा अपितु देश-विदेश तक के हर वर्ग के लोगों के दिलों में बनाई है। जिसने अपने हर गानों से हर आयु वर्ग के प्रंशसकों को मंत्रमुग्ध कर उनके दिलों में अपनी जगह बनाई।
खासा आले चाहर उर्फ अभिषेक चाहर का जन्म 21 अक्टूबर 1998 को गांव में ही एक साधारण परिवार में हुआ। परिवार के लोग आज भी खेतीबाड़ी करते हैं। अभिषेक के परिवार में दादा-दादी, माता-पिता व एक बड़ा भाई है। अभिषेक के पिता हिसार जिला न्यायालय में नौकरी करते हैं जबकि मां गृहिणी हैं। अभिषेक चाहर ने बताया कि उसकी प्राइमरी की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई। पिता की नौकरी हिसार होने के कारण वो परिवार सहित हिसार आकर रहने लगे और उसने छह से दस की कक्षा हिसार आजाद नगर के एक प्राइवेट स्कूल से पास की। इसके बाद गांव गंगवा के सरकारी स्कूल से 12वीं पास की। इग्नु से स्नातक पास कर उसने अपना कदम संगीत की दुनिया की तरफ रखा और आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभिषेक ने बताया कि उसका सपना है कि देश के हर घर तक हरियाणवी संस्कृति पहुचे, जिसको वह साकार करने में लगा हुआ है।
ऐसे हुई शुरुआत
अभिषेक ने बताया कि स्कूल समय से ही उसकी रुचि लेखन में थी। उसने सबसे पहले जाट-जाटनी, हथकड़ आदि गाने लिखे, लेकिन इन गानों से उसको कोई अधिक रिस्पांस नहीं मिला। लेकिन उसने प्रयास जारी रखा। अपनी लेखनी को और अधिक सुधारा और सपनों को साकार करने में जुटा रहा।
इन गानों से मिली दुनिया में पहचान
अभिषेक चाहर ने बताया कि लेखन के बाद उसने गायकी को आजमाया और उसने अपना खुद का ही लिखा सबसे पहला गीत फादर साहब गाया। अभिषेक ने बताया कि इस गाने को हर आयु वर्ग के देश-विदेश के करोड़ों लोगों ने सराहा, जिससे उसे उत्साह मिला और उसने इसके बाद अपने प्रंशसकों के लिए एक के बाद एक कई गाने गाए। जैसे मां-माई, रोला चौधर का, जाट-जाटनी-टू, फौलाद की औलाद, डीजे न रोक दियो, फील, गोरा रंग, आर्मी की वर्दी, तेरी गली, स्याही, कालेज लाइफ, यार हरियाणा तै, जय विरू, लूट लिया। अभिषेक ने बताया कि उसने हर गाने को सभ्यता के साथ हरियाणवीं संस्कृति को उपर रखते हुए गाया और जिसे करोड़ों लोगों ने सराहा।
लॉकडाउन में युवाओं के लिए तैयार किया गाना
अभिषेक ने बताया कि कोरोना काल में जब उसके पास समय था, तब उसने प्रदेश की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए उन पर गाने तैयार किए हैं जो बहुत जल्द ही रीलीज होने वाले हैं।
युवाओं को दी कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने की सलाह
देश-प्रदेश में अभिषेक उर्फ खासा आले चाहर के करोड़ों प्रंशसक हैं। अभिषेक ने बताया कि वह घर पर रहकर स्वयं तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर ही रहे हैं। इसके साथ वह इंटरनेट मीडिया और फोन आदि से अपने प्रंशसकों को भी कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने की सलाह दे रहे हैं।