सिर्फ दूध बेच रहे हैं तो पढ़ लें एक बार ये खबर, लुवास से सीख प्रोसेसिंग कर कमा सकेंगे मोटा मुनाफा

हरियाणा दूध का कच्चा माल तो तैयार कर रहा है मगर अधिक मुनाफे के लिए किसानों या नागरिकों को दूध की प्रोसेसिंग में आगे बढ़ना होगा। कच्चे दूध की तुलना में दूध से बनने वाले उत्पादों के अच्छे दाम मिलते हैं। दूध प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में हम अभी पीछे हैं।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 09:34 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 09:34 AM (IST)
सिर्फ दूध बेच रहे हैं तो पढ़ लें एक बार ये खबर, लुवास से सीख प्रोसेसिंग कर कमा सकेंगे मोटा मुनाफा
हरियाणा के किसानों को दुग्ध उत्पादन में नहीं होता अधिक मुनाफा, अब प्रोसेंसिंग से आय बढ़ाने का हो रहा प्रयास

हिसार [वैभव शर्मा] गुजरात की तर्ज पर हरियाणा को भी मिल्क प्रोसेसिंग में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अग्रणी बनाना चाहता है। हरियाणा में भी अमूल जैसी देशव्यापी कंपनियां खड़ी हों इसके लिए लुवास ने कई साल पहले पहल शुरू की थी। उन्होंने कैंपस में ही अपना मिल्क प्लांट स्थापित किया। बीच-बीच में इसे अपग्रेड भी किया गया। 10 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला यह प्लांट किसानों को मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करने के लिए प्रेरित करने का काम कर रहा है। मौजूदा समय में यहां 2 हजार लीटर पॉश्चराइज्ड दूध कीटाणुओं को खत्म कर शुद्ध कर आगे पैकेजिंग कर एचएयू और लुवास के शिक्षकों व गैर शिक्षकों को मुहैया कराया जाता है।

इस यूनिट को लेकर चर्चा इसलिए भी है क्योंकि हरियाणा में दूध की उपलब्धता 1142 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है, जो कि राष्ट्रीय औसत के 394 ग्राम के मुकाबले कहीं अधिक है। पंजाब के बाद हरियाणा इसमें तीसरे स्थान पर है। जबकि दुग्ध उत्पादन में हम छठवें पायदान पर हैं। इस सब के बावजूद हरियाणा के किसानों को दुग्ध उत्पादन में अधिक मुनाफा नहीं होता। वह कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन को सहायक कार्य के रूप में लेते हैं। जबकि अब कच्चे दूध के स्थान पर दुग्ध प्रोसेसिंग यूनिट के माध्मय से प्रोडक्ट बनाकर सामुदायिक रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। किसानों का समूह लुवास के मॉडल को अपनाकर अपना दुग्ध प्रोसेसिंग प्लांट लगा सकते हैं।

पॉश्चराइज्ड दूध ही क्यों चुना

लुवास के दुग्ध प्रोसेसिंग यूनिट में मिल्क डिवेलपमेंट अफसर नेहा ठाकुर बताती हैं कि प्लांट में दो हजार लीटर दूध लुवास के ही फार्म से आता है। इसमें मुर्राह नस्ल की भैंस और हरियाण व अन्य नस्ल की गाय का दूध मिश्रित होता है। हमारा उद्देश्य है कि लोगों को बीमारी (पशुओं की टीबी, ब्रूसोलोसिस) रहित दूध उपलब्ध कराएं। इसलिए दूध को पॉश्चराइज करने का काम किया। इस दूध की गुणवत्ता भी अच्छी होती है और अधिक समय भी चल जाता है। इसे एक बड़े टैंक में दूध को 15 सेंकेंड में 73 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है। कम समय और अधिक तापमान का फार्मूला लगाने पर दूध में सभी किटाणु मर जाते हैं। फिर इसे दूसरे टैंक में चार डिग्री सेल्सियस पर ठंडा करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में सब कुछ दो घंटे से भी कम समय में ऑटोमेटिक तरीके से होता है। पैकेजिंग के बाद इस दूध को 44 रुपये लीटर में लोग प्लांट से ही खरीद ले जाते हैं। इस दूध को गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती।

दूध ही नहीं बल्कि अग्रिम आर्डर पर बनता है पनीर और मावा

दूध ही नहीं बल्कि दूध से बनने वाले प्रोडक्ट की भी यहां काफी मांग है। मावा की बर्फी बनवाने के लिए लोग पहले से ऑर्डर देते हैं जो 315 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकती है। यहां 100 लीटर दूध में लगभग 22 किलोग्राम मावा बन जाता है। इसके साथ ही 300 रुपये किलोग्राम शुद्ध पनीर मिलता है। यहां 100 लीटर दूध में 18 किलोग्राम शुद्ध पनीर निकलता है। इसमें मसाला पनीर व अन्य प्रकार के पनीर से बनने वाले प्रोडक्ट की जानकारी भी देते हैं।

किसानों को बताया जाता है कि शुद्ध दूध लेने पर भी मुनाफा और लोगों का विश्वास कमाया जा सकता है। लुवास के पास दूध के प्रोडक्ट की इतनी डिमांड है कि वह पूर्ति तक नहीं कर पाते। इस बर्फी के लिए कई राज्यों से आर्डर आते हैं मगर यहां प्लांट किसानों काे दिखाने के लिए लगाया गया है व्यापारिक गतिविधि के लिए इसलिए बिना लाभ बिना नुकसान पर चलाया जाता है। यह बड़ी क्षमता का प्लांट है किसान छोटी क्षमता का प्लांट भी लगा सकते हैं। वहीं लोगों को शुद्ध दूध मिल सकेगा।

-- हरियाणा दूध का कच्चा माल तो तैयार कर रहा है मगर अधिक मुनाफे के लिए किसानों या नागरिकों को दूध की प्रोसेसिंग में आगे बढ़ना होगा। कच्चे दूध की तुलना में दूध से बनने वाले उत्पादों के अच्छे दाम मिलते हैं। दूध प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में हम अभी पीछे हैं। हमें गुजरात मॉडल को फॉलो करने की आपश्यकता है। इससे किसानों की आय में जबरदस्त इजाफा होगा। अगर प्रोसेसिंग यूनिट लगती भी है तब भी दूध के दाम अधिक मिलेंगे। शहरीकरण बढ़ने के साथ-साथ फ्लेवर्ड दही, फ्लेवर्ड दूध, बटर, आइसक्रीम आदि की मांग हर समय बाजार में रहती है।

- -- -- -डा. पीएस यादव, वरिष्ठ विज्ञानी, केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र

-- - किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसानों को अब नई तकनीकि आधारित कार्यों को आगे बढ़ाना होगा। जिस प्रकार खेती में मशीनरी का प्रयोग हुआ अब पशुपालन में भी करें। लुवास के दुग्ध प्रोसेसिंग मॉडल से कम क्षमता के प्लांट की जानकारी भी ले सकते हैं ।

- -- -डा. गुरदियाल सिंह, कुलपति, लुवास

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