अगर वेंटिलेटर मिल जाता तो कोरोना संक्रमित की बच सकती थी जान

सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी का रोना रोया जाता है लेकिन जब डाक्टर उपलब्ध संसाधनों का ही समुचित उपयोग ना कर पाएं तो स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:28 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:28 AM (IST)
अगर वेंटिलेटर मिल जाता तो कोरोना संक्रमित की बच सकती थी जान
अगर वेंटिलेटर मिल जाता तो कोरोना संक्रमित की बच सकती थी जान

संवाद सहयोगी, हांसी : सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की कमी का रोना रोया जाता है, लेकिन जब डाक्टर उपलब्ध संसाधनों का ही समुचित उपयोग ना कर पाएं तो स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हांसी के सिविल अस्पताल में इलाज ना मिलने के कारण कोरोना पॉजिटिव मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया और वेंटिलेटर धूल फांक रहे थे। बीती 16 सितंबर को ही अस्पताल में दो वेंटिलेटर भेजे गए थे, जिन्हें प्रोविजनल लेवल पर इंस्टॉल किया गया है। वेंटिलेटर को लगाने के लिए ऑक्सीजन सप्लाई की पाइप लाइन की जरूरत थी, जो अस्पताल प्रशासन मुहैया नहीं करवा पाया। हालात ये हैं कि कोरोना मरीज की मौत होने के बाद भी अस्पताल में वेंटिलेटर स्थापित नहीं हो पाए हैं।

कोरोना महामारी के दौर में जब अस्पताल में व्यवस्थाएं चाक चौबंद होनी चाहिए, ऐसे में हांसी के सिविल अस्पताल में अव्यवस्थाएं चरम पर हैं। आइसोलेशन वार्ड में ही सैंपलिग करवाई जा रही है। मरीज की तबीयत बिगड़ जाने पर आपातकालीन उपचार के लिए कोई सुविधा नहीं है। इसका खामियाजा एक कोरोना पॉजिटिव मरीज अपनी जान देकर भुगत चुका है। इस हादसे के बाद भी अस्पताल प्रशासन की आंखें नहीं खुली हैं। सिविल अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए आए दो वेंटिलेटर स्थापित नहीं हो पाए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर वेंटिलेटर स्थापित होते तो कोरोना संक्रमित मरीज की जान बच सकती थी। अस्पताल में कोरोना सैंपलिग के दौरान पॉजिटिव केस मिल रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन कोई कदम उठाने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली

सिविल अस्पताल में जिस महिला डाक्टर द्वारा 24 सितंबर को वेंटिलेटर को प्रारंभिक रूप में स्थापित करवाया गया था, सीएमओ ने उसी की ड्यूटी वेंटिलेटर की ट्रेनिग के लिए लगाई है। इससे साफ जाहिर होता है कि महिला डाक्टर को वेंटिलेटर चलाने की ट्रेनिग ही नहीं दी गई। हांसी एसएमओ ने शुक्रवार को ही सीएमओ को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि महिला डाक्टर मेडिकल लीव पर है। ऐसे में अब वेंटिलेटर की ट्रेनिग किस डाक्टर को दी जाएगी, ये भी स्पष्ट नहीं है।

chat bot
आपका साथी