मनुष्य जीवन भी नोट छापने की टकसाल की तरह : संतोषी माता
श्री आद्य शक्ति पीठ मां संतोषी आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का चतुर्थ दिवस
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- श्री आद्य शक्ति पीठ मां संतोषी आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का चतुर्थ दिवस
जागरण संवाददाता, हिसार : माडल टाउन स्थित श्री आद्य शक्ति पीठ मां संतोषी आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महामंडलेश्वर संतोषी माता ने श्री राम व श्री कृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान राम का चरित्र मनुष्य जीवन में धारण करने योग्य है जबकि भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का चितन करना चाहिए। संतोषी माता ने कहा कि आशा केवल भगवान से रखनी चाहिए, जबकि मनुष्य आशा अपने पुत्रों व सगे संबंधियों से रख रहा है और वह पूर्ण नहीं होने पर दुखी रहने लगता है। मनुष्य को अपने स्वभाव में परिवर्तन करते हुए अपने जीवन की बागड़ोर भगवान पर छोड़ देनी चाहिए और उन्हीं से आशा रखनी चाहिए। उन्होंने साथ ही यह भी कह कि स्वभाव में परिवर्तन केवल सत्संग से आ सकता है। संतोषी माता ने कहा कि वेद-शास्त्र और संत सोए हुए व्यक्ति को जगाने का काम करते हैं। मैं और मेरा से छुटकारा दिलाते हैं। मनुष्य जीवन का सार समझाते हैं। उन्होंने समझाया कि मनुष्य शरीर एक पंचायती मकान की तरह है। जिस प्रकार से धर्मशाला में लोग आते हैं, विश्राम करते हैं और चले जाते हैं। उसी प्रकार हम मनुष्य शरीर में आते हैं, कर्म करते हैं और चलते जाते हैं। जिस दिन में और मेरा की भूल समझ में आ जाएगी, उसी दिन जीवन सफल होने लगेगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन भी नोट छापने की टकसाल की तरह है जिसमें काम करने वाले कर्मचारी खाली हाथ आते हैं और काम करके शाम को खाली हाथ चले जाते हैं। उन्होंने उपदेश दिया कि मनुष्य को उस परम तत्व का ध्यान करना चाहिए, जिसने हमें सुनने, बोलने, देखने ओर समझाने की शक्ति दे रखी है। आज व्यासपीठ को सुशोभित करने पर समाजसेवी एवं पीठ कोषाध्यक्ष लोकनाथ सिगल की धर्मनिष्ठ पुत्री कुमारी तान्या सिगल ने माता श्री को तिलक कर माला अर्पण की और आशीर्वाद ग्रहण किया। एचडीएफसी बैंक के चीफ मैनेजर कमल कोचर, रविप्रकाश, गौरव खेड़ा व दयादेवी गोयल ने माता श्री को माला अर्पण की। इस अवसर पर मुकेश गर्ग, आरपी गोस्वामी, मीरा बंसल, सुशील बुडाकिया, राजेंद्र नांगरू, रमेश चुघ व राजमल काजल उपस्थित रहे।