ऐसे कैसे बनेंगे हरियाणा के खिलाड़ी चैंपियन, 22 कोच में से महज 7 ही दे रहे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में वैसे तो कागजी तौर पर 22 कोच की नियुक्ति खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए की गई है। लेकिन इनमें से महज 7 कोच ही खिलाड़ियों को नियमित प्रशिक्षण देने के लिए सेंटर जाते है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 06:05 AM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 06:05 AM (IST)
ऐसे कैसे बनेंगे हरियाणा के खिलाड़ी चैंपियन, 22 कोच में से महज 7 ही दे रहे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग
हरियाणा में 22 कोच नियुक्त किए गए है, लेकिन उनमें से महज 7 ही कोचिंग दे रहे है।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। जिले में खेलों को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी खेल विभाग की है। इसके लिए सरकार ने फतेहाबाद जिले के खेल विभाग में करीब 22 कोच नियुक्त किए हुए है। इनमें से महज 7 कोच ही खिलाड़ियों को नियमित प्रशिक्षण देने के लिए सेंटर पर आते है। बाकि 15 कोच तो अपने कागजों में ही खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे है। कुछ कोच तो ऐसे है जो कार्यालय में भी महीने में एकाध बार हाजिरी बनाने के लिए आते है। लेकिन सरकारी नियम है कि कोच को समान रूप से वेतन, भत्ते व पदोन्नति मिलेगी। ऐसे में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने से क्या फायदा। कोच भी कहते है उन्हें सरकार कौन सा गुरु द्रोणाचार्य अवार्ड देगी। जो नियमानुसार लाभ मिलते है वे तो मिलते रहेंगे।
खेल विभाग नहीं ले रहा सुध
हद तो यह है कि जिले में कौन सा कोच कहा पर कार्यरत है। इसकी सूचना भी जिला खेल विभाग के अधिकारी नहीं दे रहे। वे भी अपने कोच का बचाव कर रहे है। जिला खेल अधिकारी जगजीत सिंह मलिक 2 सितंबर तक अवकाश पर है। वहीं कार्यकारी इंचार्ज रामनिवास का कहना है कि वे बाहर है। उनकी ड्यूटी खेला हरियाणा में लगी हुई है। अन्य कोच भी खेलो हरियाणा में ड्यूटी देने दूसरे जिलों में गए हुए है। दरअसल, जिले में करीब 47 के करीब विभिन्न प्रकार के खेल स्टेडियम है। इनमें से 15 में ही कोच कार्यरत है। बाकि 32 में बिना कोच के अभाव में चल रहे है। जहां खेलों का माहौल है, वहां पर युवा स्वत: सुबह शाम ट्रेनिंग करने के लिए आ जाते है, लेकिन अनेक गांवों में खेल स्टेडियम की हालत खराब ही है। परंतु खेल विभाग के अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं हे।
ये कोच दे रहे जिले में युवाओं को दे रहे नियमित ट्रेनिंग
जिले में 22 में से 7 के करीब कोच ही ट्रेनिंग दे रहे है। इनमें से कोच ओपी सिहाग क्रिकेट, सुंदर सिहाग एथलेक्टिस, कुश्ती कोच अनिल के सेंटर जिला खेल स्टेडियम में चल रहे है। इसके अलावा गांव धारनियां में कोच राजबाला, समैन में सुरेश, एमएम कालेज में मोहित बास्केटबाल का सेंटर चला रहे है। इसके अलावा अन्य कोच कभी कभार सेंटर पर जाते है। इनमें से कई कोच ऐसे है। जिनका उन गांव के लोगों को नहीं पता कि उनके गांव में खेल का सेंटर चल रहा है। गांव गोरखपुर में दो खेलों का सेंटर है। लेकिन एक भी कोच खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए जाता।
कुश्ती व हाकी में कोच की बदौलत खिलाड़ियों का जलवा
जिले की पहली बार महिला कुश्ती खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीता। गांव दौलतपुर की वर्षा गढ़वाल व भोडियाखेड़ा की कोमल ने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए हंगरी में खेलने के लिए गई। जिसमें से वर्षा गढ़वाल पद जीतने में कामयाब रही। इसी तरह गांव धारनियां में अनेक हाकी खिलाड़ी अपनी राजबाला की बदौलत विभिन्न अकेडमी में दाखिला लिया है। साधारण मैदान पर खेलते हुए अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसी तरह कोच सुंदर सिहाग व ओपी सिहाग के खिलाड़ियों ने भी ट्रेनिंग लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा का प्रदर्शन किया व पदक जीते।
खेल विभाग में 150 शारीरिक शिक्षा के टीजीटी, डेढ़ साल से पीटी तक नहीं करवाई
खेल विभाग में बच्चों को शुरुआती स्तर पर बच्चों को खेलों से जोड़ने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है। जिले के 160 के करीब राजकीय उच्च विद्यालय व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें से 150 में शारीरिक शिक्षा के टीजीटी हैं। जो पहले डीपीई व पीटीई होते थे, अब सरकार ने उन्हें टीजीटी शारीरिक शिक्षा का नाम दिया है। लेकिन हद यह है कि ये विद्यार्थियों को खेलों की ट्रेनिंग देना तो दूर पिछले डेढ़ साल से पीटी तक नहीं करवाई। ऐसे में खेल खिलाना तो दूर की बात है। टीजीटी कहते है कि सुबह स्कूल में प्रार्थना सभा नहीं होती। ऐसे में पीटी कहा से आयोजित करें। वहीं स्कूल में प्रतिदिन पांच विभिन्न विषयों की कक्षाएं लग रही है। उनमें शारीरिक शिक्षा की कक्षाएं नहीं लगती ऐसे में उनका कार्य अब रह नहीं गया।
अधिकांश टीजीटी के मैदान भी बदहाल
जिले में अधिकांश टीजीटी के मैदान भी बदहाल है। कोरोना काल में विद्यार्थियों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए खेल जरूरी है, ताकि विद्यार्थियों में रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़े। लेकिन 150 टीजीटी में से चंद ही ऐसे है। जिन्होंने खेल मैदान बनाया हुआ है। बाकि के पास तो मैदान तक नहीं बनवाए है। ऐसा नहीं है कि जगह का अभाव हो। फिर भी सरकारी की नीति का फायदा उठाते हुए सरकारी नौकरी का लाभ ले रहे है। विद्यार्थियों को खिलाड़ी बनाने की रूचि किसी में नहीं।
खिलाड़ी तैयार करने से नहीं, खुद पदक जीतने पर मिलती है प्रमोशन
शिक्षा विभाग में टीजीटी को प्रमोशन व वेतन वृद्धि का अतिरिक्त लाभ लेने के लिए विद्यार्थियों को ट्रेनिंग देने की बजाए खुद प्रतियोगिता में भाग लेते हुए सर्विसिज के गेम के अलावा ओपन खेलों में पदक जीतना जरूरी है। इसके सरकार अतिरिक्त लाभ देती है। किसी टीजीटी के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पदक चाहे कितने ही जीते हो, लेकिन उसे लाभ नहीं मिलेगा। समान्य रूप से बिना खिलाने वाले टीजीटी की तरह ही लाभ मिलेगा।
विद्यार्थियों के लिए खेल जरूरी : अनूप
शिक्षा विभाग के सहायक जिला खेल अधिकारी ने बताया कि कोरोना काल में शिक्षा विभाग के टीजीटी का कार्य प्रभावित हुआ है। मेरा विद्यार्थियों से आग्रह है कि वे पढ़ाई के साथ खेलों पर भी ध्यान दे। खेल से शारीरिक मजबूती आती है। जो शिक्षा की तरह ही जीवनभर काम आती है। वहीं अभिभावक भी बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करें, ताकि बच्चें व्यसनों से बचे रहें।
मैं फिलहाल बाहर हूं : रामनिवास
जिला खेल विभाग के कार्यकारी इंचार्ज रामनिवास ने कहा कि मैं फिलहाल बाहर हूं। इस बारे में अभी जानकारी नहीं दे सकते कि कितने कोच कहां कार्यरत है। अधिकांश कोच की खेलो हरियाणा के लिए ड्यूटी लगी हुई है।
 
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