ऐसे कैसे करेंगे किसान खेती, पहले डीएपी के लिए लगे थे लाइन में अब फतेहाबाद में यूरिया के लिए मारामारी

किसानों का आरोप है कि ऐसे खेती कितने दिन तक करेंगे। पहले वे डीएपी के लिए लाइन में लगे थे लेकिन अब सरकार ने उन्हें फिर से यूरिया के लिए लाइन में लगा दिया। इससे परेशान है। सरकार उनकी समस्या का समाधान करवाए।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 04:51 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:51 PM (IST)
ऐसे कैसे करेंगे किसान खेती, पहले डीएपी के लिए लगे थे लाइन में अब फतेहाबाद में यूरिया के लिए मारामारी
यूरिया खाद की कमी, किसान परेशान, फतेहाबाद डीसी की गठित कमेटी भी नहीं कर रही छापामार कार्रवाई

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : हरित क्रांति देश में उन्नत बीज व फर्टिलाइजर के दम पर हुई थी। लेकिन अब उन्नत बीज तो किसानों को महंगे रेट में मिल जाते है, लेकिन बाद में फर्टिलाइजर के लिए फिर से परेशानी आती है। महीनों तक लाइन में लगना पड़ता है। उसके बाद भी खाद नहीं मिल रही है। किसान परेशान है। किसानों का आरोप है कि ऐसे खेती कितने दिन तक करेंगे। पहले वे डीएपी के लिए लाइन में लगे थे, लेकिन अब सरकार ने उन्हें फिर से यूरिया के लिए लाइन में लगा दिया। इससे परेशान है। सरकार उनकी समस्या का समाधान करवाए। इफको केंद्र हो या कृभको। यहां तक अनाज मंडी स्थित भाजपा नेता की 87 नंबर दुकान। सब जगह किसान खाद के लिए सुबह मंडी में आकर दर-दर की ठोकरे खाते है।

खाद तो मिलती नहीं बस मिलते है धक्के। लेकिन किसानों की सुनाई नहीं हो रही। खाद लेने के लिए आए किसान विक्रम, पवन, सुरेश, छिंदा, मनोहर, मनफुल, हरपाल सिंह, अमरीक सिंह व हरदीप ने बताया कि सरकार पहले उन्हें डीएपी के लिए लाइन में लगाया। अब यूरिया के लिए परेशान कर रही है। उन्होंने मांग कि सरकार बेशक इनके रेट बढ़ा दो। लेकिन किसान को समय पर खाद मुहैया हो। इसका प्रबंधन हो। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी के नेता भी इसकी सुध नहीं ले रहे। जिनकी सत्ताधारी पार्टी से जुड़े व्यापारियों के पास आढ़त है उनको खाद मिल रही है, बाकि किसान परेशान है। किसानों का कहना है कि पहले जिला प्रशासन ने दावा किया था कि यूरिया के लिए कमेटी का गठन कर दिया। लेकिन उसके बाद भी खाद नहीं मिल रही।

2 लाख हेक्टेयर में खेती, चाहिए 15 लाख बैग :

जिले में 2 लाख हेक्टेयर यानी 5 लाख एकड़ में खेती की गई है। औसतन किसान प्रति एकड़ 3 बैग यूरिया के डालते है। ऐसे में 15 लाख बैग चाहिए। वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के किसानों को 10 लाख बैग मिल गए। लेकिन अधिकांश किसानों को अब भी यूरिया नहीं मिली है। पंजाब व राजस्थान के किसान पहले ही डीलरों व सरकारी बिक्री केंद्रों से बड़ी संख्या में यूरिया ले गए। ऐसे में स्थानीय किसानों को यूरिया मिलने में परेशानी आ रही है।

नैनो यूरिया के बारे में जानकारी कम :

किसानों को नैनो यूरिया के बारे में जानकारी कम है। इसलिए सही से इसका प्रयोग कम कर रहे है। वहीं अनेक किसानों को इस पर विश्वास अभी तक बना नहीं है। ऐसे में इसका प्रयोग कम कर रहे है। किसान यूरिया के लिए लाइन में लग रहे है। न ही इसका प्रचार प्रशासनिक अधिकारी कर रहे है। किसानों का कहना है कि यूरिया का बैग व नैना यूरिया की बोतल का एक ही मूल्य है। जबकि इसकी स्प्रे करवाने से खर्चा अधिक हो जाता है।

सरसों उत्पाद किसानों को यूरिया की ज्यादा जरूरत :

गेहूं के साथ सरसों उत्पादक किसानों को यूरिया की अधिक किल्लत महसूस हो रही है। सरसों में पहली सिंचाई करने के उपरांत किसान यूरिया डालते है। लेकिन अब यूरिया नहीं मिल रही है। ऐसे में किसान परेशान। किसानों का कहना है कि यूरिया बिना डाले सरसों की फसल सही से बढ़वार नहीं लेगी। ऐसे में वे परेशान है।

जल्द हो जाएगा समाधान : सिहाग

जिले में यूरिया के लगातार रैक लग रहे है। किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जा रही। यदि कहीं पर किसान के साथ व्यापारी व अन्य लोग यूरिया की कालाबाजारी करें। तो इसकी सूचना तुंरत दे, ताकि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके।

- डा. राजेश सिहाग, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।

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