तापमान से नहीं बल्कि पोषक तत्वों की कमी से बदल रहा गेहूं की फसल का रंग, ऐसे करें उपचार
हरियाणा में किसानों की शिकायत थी कि जब से दिन का तापमान बढ़ा है तब से गेहूं का रंग परिवर्तित होने लगा है। यह सिलसिला पिछले 10 दिनों से चल रहा है। ऐसे में किसानों को डर है कि कहीं उनकी फसल में पीला रतुआ रोग तो नहीं फैल रहा।
हिसार, जेएनएन। खेती पूरी तरह से मौसम पर निर्भर होती है। यही कारण है कि फसलों में हल्का सा भी परिवर्तन हो तो किसान की चिंता बढ़ जाती है। राज्य में कई स्थानों से किसानों की शिकायत थी कि जब से दिन का तापमान बढ़ा है तब से गेहूं का रंग परिवर्तित होने लगा है। यह सिलसिला पिछले 10 दिनों से चल रहा है। ऐसे में किसानों को डर है कि कहीं उनकी फसल में पीला रतुआ रोग तो नहीं फैल रहा। इसको लेकर कई किसान अभी तक चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में फोन कर चुके हैं।
पहले विज्ञानियों ने समझाया फिर कुछ स्थानों पर फिल्ड में जाकर देखा और किसानों को कहा कि उन्हें अभी डरने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि यह स्थिति पीला रतुआ की नहीं बल्कि गेहूं में पोषक तत्वों की कमी के कारण बनती दिखाई दे रही है। शुक्रवार को दिन का तापमान 32.3 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
एचएयू के गेहूं अनुभाग ने किसानों को यह दी सलाह
एचएयू के गेहूं अनुभाव के विज्ञानियों की मानें तो गेहूं में मैंग्नीज पोषक तत्व की कमी दिख रही है। गेहूं की प्रारम्भिक वृद्धि अवस्था तथा गेहूं में बालियां निकलने के समय मैंग्नीज की कमी के लक्षण दिखार्इ देने शुरू होते हैं। पत्तियों पर भूरे-पीले रंग की धारियां पत्ती के सिरे से शुरू होकर नीचे की ओर बनती हैं, पौधों की बढ़वार कम हो जाती है। इसके साथ ही बालियां देर से व मुड़ी-तुड़ी होकर निकलती हैं। यह स्थिति अगर आपको गेहूं के खेतों में दिखाई दे तो चिंता करने के स्थान पर पोषक तत्व की पूर्ति कर सकते हैं।
मैग्नीज की कमी का ऐसे करें उपचार
खड़ी फसल में मैंगनीज की कमी के लक्षण प्रकट होने पर 0.5 फीसद मैंग्नीज सल्फेट के घोल अर्थात 500 ग्राम मैंग्नीज सल्फेट को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इसके बाद भी अधिक स्थिति ठीक न हो तो कृषि विशेषज्ञों से किसान सलाह ले सकते हैं।