कोरोना वायरस का पता लगाने को पालतू पशुओं की सर्विलांस करेगा हिसार एनआरसीई
एनआरसीई के विज्ञानी देश में कुछ बड़े संस्थानों के साथ मिलकर पालतू पशुओं में कोरोना की भूमिका जानने के लिए सर्विलांस का काम करेंगे। विज्ञानियों को इसी प्रोजेक्ट को लेकर लंबे समय से आस थी। विज्ञानी पता लगाएंगे कि किस प्रकार का कोरोना वायरस पालतू पशुओं में फैल सकता है।
हिसार, जेएनएन। कोराना वायरस क पता लगाने को पालतू पशुओं की सर्विलांस का कार्य जल्द ही राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) शुरू करने जा रहा है। भारत सरकार ने हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुंसधान केंद्र को तीन करोड़ रुपये की ग्रांट दी है। इस धनराशि से एनआरसीई के विज्ञानी देश में कुछ बड़े संस्थानों के साथ मिलकर पालतू पशुओं में कोरोना की भूमिका जानने के लिए सर्विलांस का काम करेंगे। विज्ञानियों को इसी प्रोजेक्ट को लेकर लंबे समय से आस थी। विज्ञानी पता लगाएंगे कि किसी प्रकार का से कोरोना वायरस पालतू पशुओं में फैल सकता है। क्योंकि पूर्व में कुछ देशों में कोरोना संक्रमितों के घर में पलने वाले पशु भी उनके कारण संक्रमित हो गए थे। विज्ञानियों के लिए यह जानना नया प्रयोग होगा।
क्या होगा इस प्रोजेक्ट में
एनआरसीई के वरिष्ठ विज्ञानी डा. बीआर गुलाटी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर एनआरसीई के निदेशक डा. यशपाल के निर्देशन में काम किया जाएगा। प्रोजेक्ट के जरिए विज्ञानी जानेंगे कि पशुओं की कोरोना वायरस को लेकर क्या भूमिका है, उन पर यह वायरस किस प्रकार का प्रभाव डालता है। इसके साथ ही अभी तक लोगों की सैंपलिंग तो हो रही है मगर पशुओं की सैंपलिंग कार्य नहीं किया गया है। ऐसे में इस प्रोजेक्ट के जरिए पालतू पशुओं की सर्विलांस हो सकेगे कि भारत में पालतू पशुओं में कोरोना वायरस ने क्या प्रभाव छोड़ा है। इस प्रोजेक्ट में बरेली आईवीआरआई व करनाल और भोपाल के अनुसंधान केंद्र में अलग-अलग पशुओं पर यह रिसर्च होगी।
अभी तक 200 पशुओं की एनआरसीई कर चुका है जांच
अभी हाल ही में 200 पशुओं की एनआरसीई के विज्ञानियों ने जांच की थी। यह पशु गाय, भैंस और घोड़े शामिल थे। अब कुत्ता और बल्ली जैसे पालतू पशुओं की टेस्टिंग भी हो सकेगी। इस प्रोजेक्ट को लेकर विज्ञानियों को लंबे समय से आस थी। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस प्रकार का सर्विलांस कार्यक्रम कोरोना वायरस को समझने में और मदद करने का काम करेगा।