Hisar Civil Hospital: कोरोना को लेकर लड़ रहे हैं, लेकिन पोस्ट कोविड मरीजों के लिए नहीं हैं दवा

Hisar Civil Hospital पोस्ट कोविड मरीजों के लिए सिविल अस्पताल और अग्रोहा मेडिकल में दवा नहीं हैं। जिसके कारण मरीजों को परेशानी हो रही है पोस्ट कोविड मरीजों को 90 रुपए की एक गोली बाहर से खरीद कर काम चलाना पड़ रहा है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 11:38 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 11:38 AM (IST)
Hisar Civil Hospital: कोरोना को लेकर लड़ रहे हैं, लेकिन पोस्ट कोविड मरीजों के लिए नहीं हैं दवा
हिसार सिविल अस्पताल में नहीं है पोस्ट कोविड मरीजों के लिए दवा।

जागरण संवाददाता, हिसार। पोस्ट कोविड मरीजों के लिए सिविल अस्पताल और अग्रोहा मेडिकल में दवा नहीं है। महिला को 90 रुपए की एक गोली बाहर से खरीद कर काम चलाना पड़ रहा हैं। चंदन नगर की एक महिला मरीज को 180 रुपए की एक गोली बाहर से खरीद कर काम चलाना पड़ रहा हैं। मामले में सिविल अस्पताल से जीव वैज्ञानिक डा. रमेश पूनिया ने इस व्यवस्था पर कटाक्ष किया है। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डाली है जिसमें लिखा की एक महिला और उसका बेटा प्रमोद चंदन नगर में रहते हैं। प्रमोद की माता को 20 मई को कोरोना हुआ और संजीवनी अस्पताल में दाखिल कराया गया। क्योंकि संजीवनी अस्पताल में वेंटीलेटर कि  व्यवस्था नहीं थी। इसलिए 23 मई को अग्रोहा मेडिकल कालेज में वेंटीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया और वहां से छह जुलाई को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

एक गोली की कीमत 90 रूपए

वह गोली महिला 23 मई से लगातार सुबह शाम खा रही है और एक गोली को कीमत है 90 रूपए है । इस गोली का खर्चा प्रतिदिन  दो गोली  के हिसाब से महीने का 5400 रुपए आता है। जो वह महिला 5 महीने से लगातार यह दवा खा रही है। परंतु अफसोस यह गोली अग्रोहा मेडिकल कालेज में भी पैसे देकर लेनी पड़ती थी। प्रमोद को अपनी माता के लिए मोल खरीदनी पड़ती थी और उसके बाद 6 अगस्त को प्रमोद की माता को तबीयत बिगड़ने की वजह से सिविल हॉस्पिटल में दाखिल कराया। वहां उसका सीटी स्कैन मौजूदा पार्षद अंबिका शर्मा के अनुमोदन करने पर फ्री  में हुआ। दोस्तों यहां भी यह गोली उसे सुबह-शाम प्रतिदिन खानी पड़ती थी जो अभी तक खाए जा रही है और आगे भी खानी पड़ेगी। जबकि सिविल हास्पिटल में भी यह  गोली कभी नहीं मिली।  लेकिन क्योंकि पोस्ट कोविड-19 की वजह से यह गोली उसकी माता को प्रतिदिन खानी पड़ेगी।

पिता टीबी की वजह से हुआ देहांत

प्रमोद लाकडाउन से पहले एक टाइल की दुकान पर काम करता था और 20 मई के बाद वह अपनी माता  की सेवा में  लगा हुआ है और एक जनवरी 2020 को उसके पिता का टीबी की वजह से देहांत हो गया था । इसलिए दोस्तों इस दवाई की व्यवस्था उसके लिए मुझे करनी पड़ती है। मेरे कहने का मतलब यह है दोस्तों लगभग 75 साल हो चुके हैं देश को आजाद हुए और आज भी सरकारी अस्पतालों में दवाइयां उपलब्ध नहीं है और एक गरीब आदमी को किसी दूसरे के मुंह की तरफ देखना पड़ता है।

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