Hisar News: प्रशासन ने फसल अवशेष जलाने के मामले में इन गांवों को किया रेड जोन में शामिल, खोलें गए कस्टम हायरिंग सेंटर

हिसार में फसल अवशेष जलाने के मामले में छह गांवों को प्रशासन ने रेड जोन में डाला है। वहीं उपायुक्त डा प्रियंका सोनी ने बताया कि रेड व येलो जोन के गांवों में फसल अवशेष प्रबंधन के तहत मशीनें अनुदान पर दी जा रही हैं।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 02:42 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 02:42 PM (IST)
Hisar News: प्रशासन ने फसल अवशेष जलाने के मामले में इन गांवों को किया रेड जोन में शामिल, खोलें गए कस्टम हायरिंग सेंटर
हिसार में फसल अवशेष जलाने के मामले में बनाए जोन।

हिसार, जागरण संवाददाता। हिसार में फसल अवशेष जलाने के मामले में छह गांवों को प्रशासन ने रेड जोन में डाला है। जिनमें घिराय, सिसाय बोलान, भैणी अमीरपुर, नारनौंद औरंग शाहपुर, उकलाना, बिठमड़ा गांव शामिल है। इसी के साथ 28 गांवों को येलो जोन में डाला गया है। जिनमें किरमारा, बनभौरी, बरवाला, बोबुआ, खरक, मतलौडा, संदलाना, सरसाना, गुराना, खैड़ी गंगन, शालाडैरी, सिसाय कालीरावण, बड़छप्पर, मोहला, पुट्ठी समैण, सिघंवा खास, उगालन, डाबड़ा, डाया, बीड़ हिसार, लुदास, लुहारी राघौ, मोठ करनैल, पाली, राजथल, चमारखेड़ा, पाबड़ा, तथा गांव साहू शामिल हैं। इन जोन के गांवों में इस बार सरकार का फोकर अधिक से अधिक कृषि यंत्रों को देने से है। खासकर इन्हीं गांवों के ग्रामीणों का आवेदन मांगा जा रहा है।

अधिक से अधिक खोलें कस्टम हायरिंग सेंटर

फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत रेड जोन व येलो जोन के किसान कस्टम हायरिंग सेंटर एवं व्यक्तिगत कृषि यंत्रों के लिए 25 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। यह कार्य कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कर रहा है। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र अनुदान पर दिया जा रहा है। इसके अलावा अनुसूचित जाति से संबंधित किसान किसी भी जोन में कस्टम हायरिंग सेंटर एवं व्यक्तिगत कृषि यंत्र लेने के लिए 25 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं।

किसान यह काम करें

जो किसान प्रथम चरण में चयनित हुए हैं, वे मशीन पोर्टल पर उपलब्ध सूचिबद्घ डीलर-निर्माता से मोल-भाव करके खरीद उपरांत मशीन का बिल, ई-वे बिल, मशीन की फोटो जीपीएस लोकेशन, शपथ-पत्र सहित अन्य दस्तावेजों व बिल की प्रति सहायक कृषि अभियंता, तीसरी मंजिल लघु सचिावालय में जमा करवाना सुनिश्चित करेंगे।

फसल अवशेष क्या है

फसल अवशेष पौधे का वह हिस्सा होता है जो फसल की कटाई और गहाई के बाद खेत में ही छोड़ दिया जाता है। भूसा, तना, डंठल, पत्ते व छिलके आदि फसल अवशेष कहलाते हैं। सरसों, गेहूं, धान, ग्वार, मूंग, बाजरा, गन्ना व अन्य दूसरी फसलों से काफी मात्रा में फसल अवशेष मिलते हैं।

आवेदन के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत

सहायक कृषि अभियंता गोपीराम ने बताया कि ग्रीन जोन के शेष बचे सीएचसी एवं व्यक्तिगत आवेदनों पर आगामी कार्यवाही सरकार की हिदायतों अनुसार की जाएगी। रेड एवं येलो जोने के योग्य आवेदकों एवं अन्य चयनित आवेदकों को अपने सभी दस्तावेज जिनमें बैंक कापी, आधार कार्ड, पटवारी रिपोर्ट, पैन कार्ड, ट्रैक्टर की वैद्य आरसी, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पंजीकरण की रसीद, परिवार पहचान पत्र, तथा सीएचसी हेतु पंजीकरण का प्रमाण पत्र पैन कार्ड, सदस्यों का विवरण, सदस्यों की भूमि दस्तावेज, पट्टानामा, एग्रीमेंट तथा इसके अलावा अनुसूचित वर्ग सीएचसी के सदस्यों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज 27 सितंबर तक सहायक कृषि अभियंता कार्यालय में जमा करवाने होंगे।

यह मिल रहा है अनुदान

गांवों में फसल अवशेष प्रबंधन के तहत धान अवशेषों को खेतों में मिलाने या बाहर निकालने के लिए कृषि मशीनों पर 50 फीसद एवं कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए 80 फीसद अनुदान दिया जाएगा। किसान स्ट्रा बेलर (हे-रेक), सुपर एसएमएस, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चौपर, सरेडर, मल्चर, रोटरी स्लेशर, शर्ब मास्टर, रिविर्सिबल एमबी प्लाऊ, सुपर सीडर, जीरो ट्रिल सीड मशीन ड्रिल, सैल्फ प्रोपेलर क्रोप रीपर, टैक्टर चालित क्रोप, रीपर कम बाइन्डर मशीनों का प्रयोग करके भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते है तथा बेलर द्वारा गांठ बनाकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते है। इससे पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है।

उपायुक्त डा प्रियंका सोनी ने बताया कि रेड व येलो जोन के गांवों में फसल अवशेष प्रबंधन के तहत मशीनें अनुदान पर दी जा रही हैं। किसानों को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरकार की इस सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।

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