भिवानी में प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन ना होने से स्वास्थ्य विभाग को उठाना पड़ रहा मोटा खर्च

डेंगू से बचाव व मरीजों के इलाज के लिए पुख्ता प्रबंध करने के प्रयास किए हों लेकिन मेडिकल कालेज बनने जा रहे चौ.बंसीलाल अस्पताल में प्लेटलेट एफेरेसिस मशीन तक नहीं है। ऐसे में जिले में अब तक मिल चुके 99 मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाना पड़ रहा है

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 01:04 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 01:04 PM (IST)
भिवानी में प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन ना होने से स्वास्थ्य विभाग को उठाना पड़ रहा मोटा खर्च
भिवानी सिविल अस्‍पताल में प्लाज्मा निकालने की मशीन चलाने के लिए नहीं आपरेटर

अशोक ढिकाव, भिवानी : बेशक जिला स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से बचाव व मरीजों के इलाज के लिए पुख्ता प्रबंध करने के प्रयास किए हों, लेकिन मेडिकल कालेज बनने जा रहे चौ.बंसीलाल अस्पताल में प्लेटलेट एफेरेसिस मशीन तक नहीं है। ऐसे में जिले में अब तक मिल चुके 99 मरीजों को बाहर प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाना पड़ रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत प्लेट्लेट्स मिल सके। इतना ही नहीं सबसे बड़ी लापरवाही तो यह है कि सामान्य अस्पताल के ब्लड बैंक में प्लाज्मा निकालने के लिए कंपोटेंट मशीन तो है, लेकिन सालों से उसे चलाने के लिए आपरेटर नहीं है। ऐसे में प्राइवेट ब्लड बैंक को प्लेट्लेट्स व प्लाज्मा के लिए अधिकृत कर विभाग लाखों रुपये खर्च करने को तैयार है, लेकिन आपरेटर रखने को तैयार नहीं है।

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भिवानी जिले की आबादी करीब 16 लाख हो चुकी है। जिसे देखते हुए चौ.बंसीलाल नागरिक अस्पताल को मेडिकल कालेज बनाया जा रहा है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यहां प्लेट्लेट्स व प्लाज्मा तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि यह अस्पताल एशिया के नामी सरकारी अस्पतालों में शुमार माना जाता है। ऐसे में डेंगू के प्रकोप के दौरान जिले के लोगों की जान दाव पर लगी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस तरफ ध्यान ना देकर अन्य नाममात्र की काम चलाऊ व्यवस्था करने में लगा है। विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों व डाक्टरों को पता है कि डेंगू में प्लाज्मा व प्लेट्लेट्स कितने जरूरी है।

प्लेटलेट एफेरेसिस मशीन ना होने से प्लेट्लेट्स की हो रही दिक्कत :

रक्त से अलग से प्लेट्सलेट्स निकालने के लिए प्लेटलेट एफेरेसिस मशीन की जरूरत होती है, जो कि यहां है ही नहीं। ऐसे में बाहर शहर की एक प्राइवेट ब्लड बैंक से मोटी रकम खर्च कर विभाग यह काम करवा रहा है। रेंडम डोनर प्लेट्लेट्स के लिए प्रति यूनिट 400 रुपये तो सिंगल डोनर प्लेट्लेट्स के लिए प्रति यूनिट 11 हजार

रुपये खर्च किए जा रहे है।

प्लाज्मा निकालने की मशीन बिना आपरेटर के हुई नकारा :

विभाग के पास प्लाज्मा निकालने क लिए कंपोटेंट मशीन है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इसे आपरेट करने के लिए विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में यह मशीन नकारा साबित हो रही है। इस तरफ विभाग ध्यान तक नहीं दे रहा है।

मरीज मजबूरी में बाहर करवा रहे इलाज :

चौंकाने वाली बात यह है कि यहां मरीज इलाज के लिए आते है तो बेबसी जाहिर कर चिकित्सक उसे रोहतक पीजीआइ रेफर कर देते है। ऐसे में मरीज को परिजन रोहतक, हिसार व दिल्ली के महंगे अस्पतालों में ले जाकर इलाज करवाने को मजबूर है। आर्थिक तौर पर मजबूर लोग तो अपने मरीज का ठीक से इलाज नहीं करवा रहे है। ऐसे में उनकी जान दांव पर लगी रहती है।

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विभाग के पास मशीन बेशक ना हो, लेकिन उनकी जान बचाने के लिए विभाग अपने खर्च पर प्लेट्लेट्स उपलब्ध करवा रहा है। प्लाज्मा मशीन चालू करने के लिए विशेषज्ञ आपरेटर की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा

है।

-- डा. मोनिका सांगवान, इंचार्ज ब्लड बैंक, चौ.बंसीलाल नागरिक अस्पताल भिवानी --

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