एचएयू विशेषज्ञों ने बताया कि उच्च गुणवत्ता व रोग प्रतिरोधी किस्मों के बीज से बढ़ सकती है 20 फीसद तक पैदावार

एचएयू कुलपति ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किस्मों का बीज किसानों तक उपलब्ध नहीं होगा तब तक उस किस्म को विकसित करने का कोई फायदा नहीं है और न ही किसानों की पैदावार में बढ़ोतरी होगी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 04:28 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 04:28 PM (IST)
एचएयू विशेषज्ञों ने बताया कि उच्च गुणवत्ता व रोग प्रतिरोधी किस्मों के बीज से बढ़ सकती है 20 फीसद तक पैदावार
वर्चुअल बैठक के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज।

जागरण संवाददाता, हिसार। अगर किसान अपने खेत में उच्च गुणवत्ता व रोग प्रतिरोधी किस्मों के बीजों को बोए तो उत्पादन में बीस प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए कृषि वैज्ञानिकों का यह नैतिक कर्तव्य बनता है कि वे किसानों को बेहतर व उन्नत किस्मों के बीज मुहैया करवाने में मदद करें। ये विचार चौधरी चरण सिहं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय के बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की अनुसंधान परियोजना समीक्षा 2020-21 तथा तकनीकी कार्यक्रम 2021-22 के तहत वैज्ञानिकों को ऑनलाइन माध्यम से दिशा-निर्देश दे रहे थे।

वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किस्मों का बीज किसानों तक उपलब्ध नहीं होगा तब तक उस किस्म को विकसित करने का कोई फायदा नहीं है और न ही किसानों की पैदावार में बढ़ोतरी होगी। एक पुरानी कहावत है कि ‘जैसा बोओगे, वैसा काटोगे’। इसलिए बीज का गुणवत्तायुक्त होना अधिक आवश्यक है क्योंकि उन्नत बीज के बिना इनका समुचित लाभ सम्भव नहीं है। आज देश में अधिकतर किसान जागरूकता के अभाव में उन्नत किस्म के बीजों से वंचित हैं। यदि सभी किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध हो जाए तो देश का उत्पादन 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है क्योंकि उन्नत बीज, खाद-पानी आदि का समुचित उपयोग करके ही किसान अधिक पैदावार ले सकता है।

हरियाणा प्रदेश के किसान इस मामले में खुशकिस्मत हैं कि उन्हें उच्च गुणवत्ता व उन्नत किस्मों के बीज लगातार समय पर मुहैया करवाए जा रहे हैं। हमारे देश में बीज उत्पादन व बिक्री व्यवसाय में अनेक देश-विदेश की सरकारी एवं गैर सरकारी बीज कम्पनियां/संस्थाएं कार्यरत है, परन्तु बावजूद इसके किसानों में जागरूकता का अभाव स्पष्ट दिखाई देता है, जिसके चलते वे अपनी फसलों से बेहतर उत्पादन हासिल करने में असमर्थ हैं। हालांकि खाद, पानी व अन्य सस्य क्रियाओं का भी अपना महत्त्व है परन्तु यदि बीज अच्छा नहीं होगा तो किसान इन साधनों का समुचित उपयोग नहीं कर सकेगा और पैदावार में घाटा रहेगा।

बीज की गुणवत्ता कायम रखना जरूरी

अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि बीज कृषि में प्रयोग किया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है इसलिए गुणवत्ता युक्त बीजों की उपलब्धता बहुत ही जरूरी है। आधार व प्रमाणित बीज की गुणवत्ता प्रजनक बीज की अनुवांशिक शुद्धता पर ही निर्भर करता है। इसलिए इसकी गुणवत्ता को कायम रखने का हर संभव प्रयास करें। अतिरिक्त अनुसंधान निदेशक डॉ. नीरज कुमार ने किसानों की समस्याओं पर आधारित अनुसंधान प्रयोगों की संरचना करने के सुझाव दिए। परियोजना निदेशक डॉ. सतीश खोखर ने बीज गुणवत्ता एवं पैदावार को बढ़ाने के लिए अनुसंधान प्रयोगों में नैनो टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने को कहा। बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. के. डी. शर्मा ने अनुसंधान क्षेत्र में चल रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे में बताया तथा वर्ष 2021-22 की परियोजना के बारे में चर्चा की। इस दौरान विभिन्न विभागों के अध्यक्ष व वैज्ञानिकों ने भाग लेकर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए जो भविष्य में अनुसंधान प्रयोगों की गुणवत्ता सुधारने में सहायक साबित होंगे।

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