हरियाणा की बेटी ने तीन माह गुजरात में रहकर सीखी गुजराती, बिना रुके दिए जवाब और बनीं सिविल जज

जागरण संवाददाता हिसार कहते हैं जब किसी बड़े लक्ष्य को पाने का दृढ़ निश्चिय मन में हो तो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 08:49 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 08:49 PM (IST)
हरियाणा की बेटी ने तीन माह गुजरात में रहकर सीखी गुजराती, बिना रुके दिए जवाब और बनीं सिविल जज
हरियाणा की बेटी ने तीन माह गुजरात में रहकर सीखी गुजराती, बिना रुके दिए जवाब और बनीं सिविल जज

जागरण संवाददाता, हिसार : कहते हैं जब किसी बड़े लक्ष्य को पाने का दृढ़ निश्चिय मन में हो तो फिर क्या रुकावटें और क्या विपत्तियां, कदम रोक नहीं सकतीं। लोगों के लिए भाषा एक चुनौती बन जाती है। उसी भाषा को हथियार बनाकर हरियाणा की बेटी गुजरात में सिविल जज बनकर न्याय की राह पर निकल पड़ी है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय(एचएयू) से हाल ही में सेवानिवृत्त सीनियर स्केल स्टनोग्राफर राजपाल धनखड़ की बेटी पारुल धनखड़ गुजरात में सिविल जज के पद पर चयनित हुई हैं। मगर यह लक्ष्य पाना उनके लिए हमेशा से ही आसान नहीं रहा। पारुल ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि उन्होंने दिल्ली में रहकर तैयारी की। फिर राजस्थान में न्यायिक सेवा परीक्षा में मेंस दिया, मगर चयनित नहीं हुईं। झारखंड में तो साक्षात्कार तक पहुंचीं, मगर यहां भी निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद गुजरात न्यायिक सेवा परीक्षा का यह तीसरा प्रयास था, जिसमें आखिरकार उन्होंने इस सीढ़ी को पार कर लिया।

वह बताती हैं कि जब उनका साक्षात्कार चल रहा था तो निर्णायक मंडल ने पूछा कि गुजरात में गुजराती भाषा का आना बहुत जरूरी है। ऐसे में पारुल ने सभी जवाब गुजराती भाषा में दिए। जब निर्णायक मंडल ने गुजराती भाषा पर पकड़ के बारे में पूछा तो पारुल ने बताया कि उन्होंने परीक्षा देने से पहले वर्ष 2018 में तीन महीन अहमदाबाद में रहकर गुजराती भाषा ही सीखी थी। वह बताती हैं कि जिस क्षेत्र में आप जाएं तो वहां की छोटी से छोटी बातों का भी ध्यान रखना होता है।

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जज बनने के बाद यह है लक्ष्य

पारुल बताती हैं कि जज बनने के बाद सबसे पहले लंबित केसों को निपटाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके साथ ही वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आगे बढ़ाने का सामाजिक कार्य भी करेंगी।

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पिता को सेवानिवृत्ति पर दिया तोहफा

पारुल के पिता राजपाल धनखड़ हाल ही में एचएयू से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिता की सेवानिवृत्ति पर इससे बड़ा तोहफा कुछ ओर नहीं हो सकता है। पिता ने उन्हें और उनकी बहन मीनाक्षी को उच्च शिक्षा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उनका गांव झज्जर जिला में रैया डाबला है। वह इस गांव की पहली बेटी हैं, जो सिविल जज बनी हैं। पारुल धनखड़ ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता मनजीत कौर , पिता व चाचा-चाचियों को दिया है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में उनके दो चाचा वकालत करते हैं, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से ही इस दिशा में अपना भविष्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया।

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कैंपस स्कूल से हुई है प्रारंभिक पढ़ाई

पारुल धनखड़ के पिता ने बताया कि पारुल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कैंपस स्कूल से ही पूरी की है। इसके बाद 12वीं की परीक्षा ब्लूमिग डेल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल हिसार से और बीए एलएलबी की परीक्षा छाजूराम ला कालेज हिसार से उतीर्ण की है। इसके बाद अपनी एलएलएम की परीक्षा 2016 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पूरी की। गौरतलब है कि पारुल अपने बैच की गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा रही हैं।

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