Haryana Weather Update: हरियाणा में अभी ठंड के साथ खुष्क रहेगा मौसम, प्रदूषण से भी नहीं मिलेगी राहत
हवा का परिवर्तन फिर से और ठंड लाने जा रहा है। इसका मौसम विज्ञानियों ने अभी से आकलन लगा दिया है। एचएयू के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि हरियाणा में आमतौर पर एक दिसम्बर तक मौसम खुश्क रहने की संभावना है।
जागरण संवाददाता, हिसार। इस बार हरियाणा में नवंबर काफी ठंडा रहा है। अब हवा का परिवर्तन फिर से और ठंड लाने जा रहा है। इसका मौसम विज्ञानियों ने अभी से आकलन लगा दिया है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि हरियाणा में आमतौर पर एक दिसम्बर तक मौसम खुश्क रहने की संभावना है।
इस दौरान राज्य में हल्की गति से पश्चिमी व उत्तर पश्चिमी हवा चलने से रात्रि तापमान में हल्की गिरावट होने की संभावना है परन्तु इस दौरान दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी रहने की संभावना है। पिछले कुछ दिनों से रात्रि और दिन का तापमान गिर रहा था हाल ही में इसमें बढोत्तरी दर्ज की गई थी। अब फिर से रात और सुबह का तापमान गिरेगा, तापमान गिरने पर मौसम के साथ-साथ प्रदूषण भी अधिक दिन तक रह सकता है।
रात्रि तापमान सामान्य से तीन डिग्री कम
हिसार में रात्रि तापमान अभी सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम चल रहा है। मौजूदा समय में हिसार में 7.2 डिग्री सेल्सियस रात्रि तापमान दर्ज किया गया। जबकि दिन का तापमान सामान्य से एक डिग्री बढ़कर 27.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
नवंबर की रातों में अधिक ठंड पड़ने का यह है कारण
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ बताते हैं कि वर्तमान में प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं हो रहा है। बल्कि सभी ईरान ईराक से आने वाले पश्चिमी विक्षोभ पाकिस्तान के रास्ते हिमाचल प्रदेश होते हुए हिमालय की तरफ जा रहे हैं। जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। इसके बाद पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाली हवा मैदानी क्षेत्रों को ठंडा कर रही हैं। अक्सर पश्चिमी विक्षोभ के मैदानी क्षेत्रों में आने और अरब सागर से आई नमीयुक्त हवा मिलकर बारिश करती हैं तो तापमान बढ़ भी जाता है।
मगर इस बार अरब सागर में मजबूत साइक्लोनिक सर्कुलेशन नहीं बन रहा। यहां पर पूर्व में हवा चली तो गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुछ स्थानों पर बारिश हुई। मगर इससे आगे यह हवा सक्रिय नहीं हुईं। हालांकि आम दिनों की तुलना में सर्दी के मौसम में हरियाणा तक अरब सागर या बंगाल की खाड़ी से कम ही हवा पहुंच पाती है क्योंकि हरियाणा काफी ऊपर स्थित है। वहीं प्रदेश तक पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव भी नहीं पहुंचा। लिहाजा कोई वेदर सिस्टम न बनना भी तापमान गिरने का एक कारण रहा।
---क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यरेखा-क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली वह बाह्य- उष्ण कटिबंधीय आंधी है जो सर्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भागों में अकस्मात मैदानी क्षेत्रों में बारिश तो पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी ले आती है। यह बारिश मानसून की बरसात से भिन्न होती है। बाह्य-उष्णकटिबंधीय आंधियां विश्व में सब जगह होती हैं। इनमें नमी सामान्यत: ऊपरी वायुमंडल तक पहुंच जाती है, जबकि उष्ण कटिबंधीय आंधियों में आर्द्रता निचले वायुमंडल में बनी रहती है। भारतीय महाद्वीप में जब ऐसी आंधी हिमालय तक जा पहुंचती है तो नमी कभी-कभी बारिश के रूप में बदल जाती है। यह ईरान ईराक अफगानिस्तान होते हुए भारत में प्रवेश करते हैं। हर माह में पश्चिमी विक्षोभ चार से पांच आते हैं।
पिछले पांच वर्षों में नवंबर में सबसे ठंडे दिन
20 नवंबर 2021- 6.3
22 व 29 नवंबर 2020- 6.4
12 नवंबर 2019- 8.8
7 नवंबर 2018- 7.5
24 नवंबर 2017- 5.5