Haryana Weather Update: हरियाणा में अगले चार दिन तक बारिश की संभावना कम, गर्मी भी बढ़ेगी

हरियाणा में मौसम विज्ञानियों ने मौसम को परिवर्तनशील बताया है मगर बारिश के आसार न के बारबर साझा किए हैं। विज्ञानियों के अनुसार तो अगले चार दिन हल्की बादल तो आसमान पर दिख सकते हैं साथ ही गर्मी बढ़ने की संभावना है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 08:53 AM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 08:53 AM (IST)
Haryana Weather Update: हरियाणा में अगले चार दिन तक बारिश की संभावना कम, गर्मी भी बढ़ेगी
हरियाणा में अब बारिश होने की कम संभावना है इससे किसानों को राहत मिलेगी

जागरण संवाददाता, हिसार। हरियाणा में अगले चार दिनों में बारिश की संभावना कमी है। मौसम विज्ञानियों ने मौसम को परिवर्तनशील बताया है मगर बारिश के आसार न के बारबर साझा किए हैं। विज्ञानियों की मानें तो अगले चार दिन हल्की बादल तो आसमान पर दिख सकते हैं साथ ही गर्मी बढ़ने की संभावना है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे मौसम में अपना विशेष ध्यान रखें। बदलता मौसम कई बीमारियों को साथ लेकर आता है। गर्मी और उमस जैसी स्थिति को लेकर लोग शीतल पेय पदार्थों, ककड़ी, खीरा व हल्के खाद्य पदार्थों आदि का सेवन कर सकते हैं।

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आगे कैसा रहेगा हरियाणा का मौसम

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि हरियाणा में अभी और बारिश हो सकती है। मौसम विज्ञानियों ने अभी से ही ऐसे हालात दर्शा दिए हैं। मौसम विज्ञानियों की मानें तो तीन अक्टूबर तक मौसम परिवर्तनशील है। इस दौरान बादल व कहीं-कहीं गरज चमक के साथ बारिश होने की संभावना है। अगर मानसून के कारण अब बारिश हुई तो किसानों को और भी नुकसान होने के आसार है। इससे पहले ही मानसून की बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कपास, मूंग, ग्वार, धान तक में किसानों को नुकसान हुआ है।

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पिछले दिनों बारिश में यह हुआ नुकसान

पिछले दिनों में कई ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश औसत से भी अधिक हुई है। किसानों से मिल रहे इनपुट की मानें तो अभी तक धान में 35 फीसद नुकसान, कपास में 42 फीसद तो मूंग और ग्वार में 47 फीसद नुकसान की संभावना जताई जा रही है। हालांकि सरकार द्वारा गिरदावरी कराने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी। इस नुकसान काे लेकर किसानों ने विशेष गिरदावरी की मांग भी शुरू कर दी है। इस बारिश से कुछ फसलें सड़ने लगी हैं तो कुछ पूरी तरह से बिछ गई हैं। इसके साथ ही धान और मूंग के दाने की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ रहा है।

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