सिंगापुर विद्रोह में हरियाणा के 42 जवान हुए थे शहीद, 41 को भीड़ के सामने मार दी गई थी गोली
1915 में सिंगापुर में तैनात पांचवी लाइट इंफेंट्री के 800 सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था। हरियाणा के सैनिकों का इसमें विशेष योगदान रहा। विद्रोह के बाद कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में 208 भारतीय सैनिकों को मौत की सजा सुनाई। जिनमें 42 सैनिक जींद भिवानी हिसार गुरुग्राम और रोहतक से थे।
रोहतक [केएस मोबिन] प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में हुए गदर लहर की चिंगारी सिंगापुर तक जा पहुंची थी। वर्ष 1915 में सिंगापुर में तैनात पांचवी लाइट इंफेंट्री के 800 सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था। हरियाणा के सैनिकों का इसमें विशेष योगदान रहा। विद्रोह के बाद हुई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में 208 भारतीय सैनिकों को मौत की सजा सुनाई गई। जिनमें 42 सैनिक जींद, भिवानी, हिसार, गुरुग्राम और रोहतक से थे।
जालंधर की देश भगत यादगार कमेटी की ओर से प्रकाशित पुस्तक 'स्वतंत्रता संग्राम की सुर्ख लाट' में इन सैनिकों के नाम और स्थान दिए गए हैं। कमेटी के महासचिव गुरमीत सिंह ने बताया कि ये सभी सैनिक भारत में गदर पार्टी के नेताओं से प्रभावित थे। ब्रिटिश शासन के खिलाफ गदर पार्टी के नेता लाला हृदयाल, करतार सिंह सराभा आदि रास्तों पर सैकड़ों भारतीय चल पड़े थे। कम आय, सुविधाएं और सम्मान नहीं मिलने पर 15 फरवरी 1915 को भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था। जांच में सुबेदार दुंदे खान, जमादार चिश्ती खान और जमादार अली खान को विद्रोह भड़काने का दोषी पाया गया।
खौफ बनाने के लिए 15 हजार की भीड़ के सामने 41 विद्रोहियों को गोलियों से भूना
ब्रिटिश फौज ने जनता में खौफ पैदा करने के लिए सिंगापुर की आउट्रम जेल के सामने 41 विद्रेहियों को गोलियों से भून दिया। फ्रांसीसी और रूसी सेनाओं के साथ मिलकर भारतीय सैनिकों के विद्रोह को दबाया गया। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई। तीन को बाद में फांसी दी गई।
रोहतक के 12 सैनिक हुए शहीद
1. इब्राहिम, रोहतक
2. इस्माइल, बैंसी
3. ताज मोहमद खां, बनियानी
4. नियाज मोहम्मद, काहनौर
5. फैज मोहम्मद, समरगोपालपुर
6. शमसुद्दीन, बनियानी
7. रहमत अली, रोहतक
8. रुकनुद्दीन, काहनी
9. सुलेमान खां, गढ़ी
10. सुलेमान खां, काहनौर
11. रफी मोहम्मद, कलानौर
12. शामुदीन, महम
कुल
1. अब्दुल गनी खां, जाटूसाना (गुड़गांव)
2. अब्दुल गनी खां, कालुवास (जींद)
3. अहमद खां, बुरटाना(हिसार)
4. इनायत
5. इब्राहिम, जमालपुर (हिसार)
6. इब्राहिम, (रोहतक)
7. इम्तियाज अली
8. इस्माइल, बैंसी (रोहतक)
9. उमराव अली, कर्मपुर (गुड़गांव)
10. गफ्फारअली, पतेन (हिसार)
11. चिश्ती खां, किरावड (हिसार)
12. जमालुद्दीन, जतौली (गुड़गांव)
13. डूंडे खां, बाजपुर (गुड़गांव)
14. ताज मोहमद खां, बनियानी (रोहतक)
15. नत्थे खां, कुसनी (मुज्जफरनगर)
16. नवाब खां, तुसानी(हिसार)
17. नियाज मोहम्मद, काहनौर (रोहतक)
18. निशान अली खां, रढ़ (करनाल)
19. नूर मोहम्मद, जाटूसाना (गुड़गांव)
20. फजल अली, चंग (हिसार)
21. फिरोज खां, खेड़ी नंगल (गुड़गांव)
22. फैज मोहम्मद, समरगोपालपुर (रोहतक)
23. बशरत अली, बलियाली (हिसार)
24. बाबर अली, गजराम (हिसार)
25. भूरे खां, राजपूत परतल (नाभा)
26. मुंशी खां ,बलियाली (हिसार)
27. मुराद अली खां, जमालपुर (हिसार)
28. मुहम्मद बख्श, जमालपुर (हिसार)
29. रसूल अली
30. रहमत अली, (रोहतक)
31. रहीम दाद, (हिसार)
32. रुकनुद्दीन, काहनी (रोहतक)
33. लाल खां, गुजरानी (हिसार)
34. सय्यद मोहम्मद, बलियाली (हिसार)
35. रफी मोहम्मद, जाटूसाना (गुड़गांव)
36. समाध खां, चौधरीवास (हिसार)
37. शमसुद्दीन, बनियानी (रोहतक)
38. सुलेमान खां, बलियाली(हिसार)
39. सुलेमान खां, गढ़ी (रोहतक)
40. सुलेमान खां, काहनौर (रोहतक)
41. हकीम अली
इन तीन को दी गई थी फांसी
1. मोमन, बस (पटियाला)
2. रफी मोहम्मद, कलानौर (रोहतक)
3. शामुदीन, महम(रोहतक)
चिरंजीवी लाल, रिसर्च इंचार्ज, देश भगत यादगार कमेटी, जालंधर ने बताया कि तुर्की के विश्व युद्ध में शामिल होने के बाद भारतीय मुसलमान सैनिकों की निष्ठा पर ब्रिटिश अधिकारियों का शक होने लगा था। सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार किया जाने लगा। भारतीय पर दमन कर रहे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध इन सैनिकों ने सिंगापुर में ही विद्रोह कर दिया। दुख की बात यह है कि सैनिकों की शहादत से इनके गांव के लोग की अनजान हैं। वर्ष 1947 के बंटवारे के दौरान इन्हीं गांवों में सबसे ज्यादा कत्लेआम हुआ था।