चार माह बाद टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहुंचे गुरनाम चढूनी, बोले-सरकार हमें जबरन नहीं हटा सकती
गुरनाम चढूनी टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार हमारे आंदोलन को जबरन खत्म नहीं करवा सकती। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार यह न सोचे की किसानों को दबाव में घर भेज दिया जाएगा। चढूनी ने कोरोना संक्रमण को लेकर भी अजीबो-गरीब बात कही।
बहादुरगढ़, जेएनएन। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में चार माह बाद भाकियू (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम चढूनी टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार हमारे आंदोलन को जबरन खत्म नहीं करवा सकती। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार यह न सोचे की किसानों को दबाव में घर भेज दिया जाएगा। इस मंच से चढूनी ने कोरोना संक्रमण को लेकर भी अजीबो-गरीब बात कही। आंदोलनकारियों की इस सभा के मंच से चढूनी ने कहा कि दिल्ली में अब कर्फ्यू लग चुका है, दिल्ली सीमा के अंदर ही चल रहे आंदोलन के बीच कोरोना नहीं है। यह आंदोलन को खत्म करवाने का षड्यंत्र है। दरअसल, गुरनाम चढूनी टीकरी बॉर्डर के मंच पर पहले 16 दिसंबर 2020 को पहुंचे थे। यहां उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ था। उनके मंच पर बोलने को लेकर पंजाब के किसानों ने आपत्ति जताई थी।
चढूनी इससे नाराज हो गए थे। स्टेज से उतर गए थे। बाद में अन्य किसान नेता उन्हें दोबारा मंच पर लेकर गए थे। इसके बाद वे माइक पर साफ तौर पर यह कहते सुने गए थे कि मंच सांझा है। अगर इस तरह का व्यवहार हुआ तो आंदोलन टूट जाएगा। हालांकि आंदोलन तो चलता आ रहा है मगर इस दिन के बाद चढूनी बहादुरगढ़ में आंदोलन के बीच तो कई बार आए लेकिन टीकरी बॉर्डर की स्टेज पर कभी नहीं गए। चार माह बीते तो सोमवार को इस मंच पर फिर से पहुंचे चढूनी ने कहा कि इन कानूनों के बनने से पहले भी किसान सुखी नही रहे। बहुत से किसानों ने आत्महत्या की है। देश में सभी संसाधन हैं।
उनका बंटवारा ठीक तरह से नहीं हुआ। पूंजीपतियों ने इन संसाधनों पर कब्जा कर रखा है। गरीबों की आय कम होती जा रही है। पूंजीपतियों की आय दोगुनी हो रही है। चढूनी ने कहा कि सरकार इस आंदोलन को कोरोना की आड़ में खत्म करवाना चाहती है। अगर किसान आंदोलन के बीच कोरोना संक्रमण का फैलाव होता तो काफी किसानों की मौत हो चुकी हाेती। किसान बीमार नहीं हैं। सरकार यदि हमें डराकर यहां से उठाएगी तो हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि यहां बेशक जलियांवाला बाग बना दो, लेकिन हमें घर नहीं भेज सकते। जब तक हम नहीं जीतेंगे, तब तक घर नही जाएंगे।